MP News: बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटी सरकार, CM मोहन यादव की निगरानी में राहत अभियान जारी

MP News: भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हाल ही में प्रदेश के कई जिलों में हुई अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए राज्य सरकार ने त्वरित और प्रभावी कदम उठाए हैं। अब तक 3628 नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर रेस्क्यू किया गया है। बारिश थमने के बाद कई लोग अपने घरों को लौट चुके हैं, लेकिन अभी भी 53 राहत शिविरों में 3065 प्रभावित लोगों को ठहराया गया है, जहां उन्हें भोजन, दवाइयां, कपड़े और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद करना मध्य प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राहत और बचाव कार्यों में किसी भी प्रकार की कमी न रहे और जनता को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। सीएम यादव ने कहा कि एक संवेदनशील शासन वही है, जो समाज के हर वर्ग, खासकर अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के लिए हर समय उपलब्ध हो।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत अतिवृष्टि और बाढ़ प्रबंधन की तैयारियां पहले ही शुरू कर दी गई थीं। 9 जून को मुख्य सचिव द्वारा विस्तृत समीक्षा की गई थी, और 22 जुलाई को सीएम यादव ने सभी जिला कलेक्टर्स को बाढ़ की पूर्व तैयारियों और जनता को राहत पहुंचाने के लिए दिशा-निर्देश दिए थे।
इसके तहत:
NDRF और SDRF की तैनाती: NDRF की टीमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और धार में तैनात की गईं, जबकि SDRF को प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय किया गया।
आपदा मित्रों का प्रशिक्षण: 3300 आपदा मित्रों को प्रशिक्षित किया गया।
संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान: प्रदेश में 259 संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां आपदा प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित किए गए, साथ ही 111 त्वरित प्रतिक्रिया टीमें तैनात की गईं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर आम जनता को बाढ़ के खतरों से समय रहते अवगत कराने के लिए मोबाइल के माध्यम से रेड अलर्ट जारी किए गए। सिंचाई विभाग ने बांधों के जल स्तर और जल निकासी की जानकारी कलेक्टर्स और संबंधित अधिकारियों तक समय पर पहुंचाई। मौसम विभाग की जानकारियों को भी बचाव दलों और अधिकारियों के साथ साझा किया गया। इसके लिए 24 घंटे सक्रिय राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में अब तक 711.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से 59% अधिक है।
खासकर मंडला में 1107 मिमी बारिश में से 51% केवल चार दिनों में हुई। प्रदेश के 40 जिलों में सामान्य से अधिक, 9 जिलों में सामान्य और 2 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। अतिवृष्टि के कारण 254 ग्रामीण सड़कों में से 212 सड़कों की तत्काल मरम्मत की गई। राजमार्गों और मुख्य मार्गों पर क्षतिग्रस्त 94 पुलियों के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराए गए, ताकि आवागमन में कोई व्यवधान न हो।
बांधों की नियमित निगरानी की जा रही है, और गेट खोलने-बंद करने की प्रक्रिया को इस तरह नियंत्रित किया गया कि कोई जनहानि न हो और भविष्य में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनी रहे। प्रदेश में 2325 प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर संचालित किए जा रहे हैं, जहां भोजन, पेयजल, दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। बचाव दलों ने 432 अभियान चलाकर 3628 नागरिकों और 94 मवेशियों को सुरक्षित बचाया।
हालांकि, अतिवृष्टि, नदी-नालों में डूबने, आकाशीय बिजली और अन्य कारणों से 252 लोगों की मृत्यु और 432 पशुओं की हानि दर्ज की गई। इसके अलावा 128 मकानों को पूर्ण और 2333 मकानों को आंशिक क्षति हुई। जिला कलेक्टर्स ने प्रभावित लोगों को 28.49 करोड़ रुपये की राहत राशि वितरित की है। राहत कार्यों के लिए शासन ने 3600 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है, ताकि वित्तीय कमी न आए। सभी अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाएं और 62 स्थानों पर अग्रिम खाद्यान्न भंडारण सुनिश्चित किया गया है।
30 जुलाई को मुख्यमंत्री स्वयं राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष पहुंचे और राहत कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने बचाव दलों का मनोबल बढ़ाया और प्रभावित लोगों से बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाया। सीएम ने कहा कि सरकार हर कदम पर जनता के साथ है और राहत कार्यों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।