UP News : वाराणसी में भी स्कूलों की छुट्टी, बाढ़ के कारण 12वीं तक के स्कूल अगले दो दिन बंद रहेंगे

UP News : वाराणसी। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में लगातार बारिश और गंगा नदी के उफान ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर, भदोही, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में गंगा अपने रौद्र रूप में है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से लगभग 87 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है, जिसके कारण निचले इलाकों के साथ-साथ पॉश कॉलोनियां भी जलमग्न हो गई हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए वाराणसी जिला प्रशासन ने 5 और 6 अगस्त 2025 को प्री-प्राइमरी से 12वीं तक के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी किया है। इससे पहले प्रयागराज में भी 7 अगस्त तक स्कूल बंद करने की घोषणा हो चुकी है।
स्कूलों की छुट्टी का आदेश
वाराणसी के जिला विद्यालय निरीक्षक भोलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण जिलाधिकारी ने सभी स्कूलों को अगले दो दिनों (5 और 6 अगस्त) के लिए बंद रखने का निर्देश दिया है। यह आदेश बेसिक, माध्यमिक, सीबीएसई, आईसीएसई, संस्कृत बोर्ड और निजी स्कूलों पर लागू होगा। प्रशासन ने स्कूल प्रबंधनों को आदेश का सख्ती से पालन करने के लिए कहा है, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, वाराणसी में गंगा का जलस्तर सोमवार की शाम 6 बजे 72.03 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 71.26 मीटर से 87 सेंटीमीटर ऊपर है। गंगा का जलस्तर 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। इसके चलते शहर के 24 मोहल्लों और 44 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे 6,376 लोग और 1,410 परिवार प्रभावित हुए हैं। गंगा की सहायक नदी वरुणा में भी पलट प्रवाह के कारण तटवर्ती इलाकों में स्थिति और गंभीर हो गई है।
बाढ़ से प्रभावित जनजीवन
गंगा का पानी घाटों को पार कर सड़कों और रिहायशी इलाकों में पहुंच गया है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार के लिए छतों और गलियों का सहारा लिया जा रहा है, जिससे धार्मिक कार्यों में भी बाधा आ रही है। नमो घाट, दशाश्वमेध, शीतला घाट और बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के आसपास की कॉलोनियों में जलभराव की स्थिति गंभीर है। जिला प्रशासन ने 46 राहत शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें से 20 सक्रिय हैं। इन शिविरों में भोजन, दूध, फल, दवाइयां और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की गई है। अब तक 17,137 लंच पैकेट, 632 दूध पैकेट और 454 राहत किट वितरित किए जा चुके हैं।
प्रशासन का राहत कार्य
जिलाधिकारी के निर्देश पर एनडीआरएफ, जल पुलिस और आपदा प्रबंधन टीमें प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। 42 नावें और एनडीआरएफ की 8 मोटरबोट राहत कार्य में लगी हैं। प्रशासन ने आपातकालीन सहायता के लिए कंट्रोल रूम नंबर 0542-2508550, 2504170 और 9140037137 जारी किए हैं। स्थानीय लोग 1978 की भयावह बाढ़ की याद ताजा कर रहे हैं, जब गंगा का पानी शहर के कई हिस्सों में 5-6 फीट तक भर गया था।
किसानों और बुनकरों पर संकट
बाढ़ ने किसानों और बुनकरों के लिए भारी मुश्किलें खड़ी की हैं। लगभग 6,244 किसानों की 1,721 एकड़ फसल जलमग्न हो चुकी है। बुनकरों के हथकरघे डूब गए हैं, जिससे उनका रोजगार ठप हो गया है। कई परिवारों को अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है। प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे न जाने और सुरक्षा उपायों का पालन करने की अपील की है।