UP News: सावन का अंतिम सोमवार, शिवभक्ति में डूबी काशी, बाबा विश्वनाथ धाम में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

UP News: वाराणसी। श्रावण मास का अंतिम सोमवार आज पूरे देशभर में श्रद्धा और आस्था के वातावरण में मनाया जा रहा है, लेकिन काशी में इसका अलग ही उल्लास देखने को मिल रहा है। बाबा विश्वनाथ की नगरी में आज सुबह से ही भक्ति का सागर उमड़ पड़ा। काशी विश्वनाथ मंदिर में आधी रात से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। मंदिर के कपाट खुलते ही श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए उमड़ पड़े। माना जाता है कि सावन के अंतिम सोमवार को बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आज प्रातः मंगला आरती का भव्य आयोजन किया गया। आरती के दौरान भक्तों पर पुष्पवर्षा की गई, जिससे मंदिर परिसर भक्ति और उल्लास से भर उठा। बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई। सुबह पांच बजे मंदिर के कपाट खुलते ही शिवभक्तों ने “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ जलाभिषेक शुरू कर दिया।
सावन के इस पावन दिन पर विशेष रुद्राभिषेक की परंपरा निभाई गई। भक्तों ने प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत और अभिषेक का संकल्प लिया। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से विधिवत रुद्राभिषेक किया गया।
इस दौरान श्रद्धालुओं ने ‘ॐ नमः शिवाय’, रुद्राष्टक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर शिव का आह्वान किया। रुद्राभिषेक में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न पदार्थों का विशेष महत्व होता है। जल और गंगाजल पवित्रता के लिए, दूध शुद्धता के लिए, दही संतान सुख हेतु, शहद प्रेम के लिए, घी स्वास्थ्य के लिए और शक्कर संपन्नता के प्रतीक के रूप में चढ़ाए जाते हैं। बेलपत्र, आक और धतूरा भगवान शिव को विशेष प्रिय माने जाते हैं।
शिवभक्ति में डूबी काशी की गलियों से लेकर मंदिर परिसर तक आज ‘हर हर महादेव’ की गूंज सुनाई दी। भक्तों का उत्साह, आस्था और समर्पण इस पावन अवसर को और भी विशेष बना रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे कई श्रद्धालुओं ने बताया कि सावन का अंतिम सोमवार उनके लिए एक अलौकिक आध्यात्मिक अनुभव लेकर आया है, जो जीवनभर उनके हृदय में बसेगा।
श्रावण मास के इस अंतिम सोमवार ने यह सिद्ध कर दिया कि वर्षा, भीड़ या दूरी कोई भी बाधा सच्चे शिवभक्तों को बाबा के दरबार तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। आज की यह भक्ति से परिपूर्ण सुबह शिव के अनन्य प्रेम और काशी की अध्यात्ममय ऊर्जा का जीवंत उदाहरण बन गई है।