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MP News: विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल की फॉल सीलिंग गिरी, मरीज और परिजन बाल-बाल बचे

रीवा के विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में फॉल सीलिंग गिरने से हड़कंप, मरीज सुरक्षित

MP News: रीवा: विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़े शासकीय सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में मंगलवार सुबह एक बड़ा हादसा टल गया। तृतीय तल पर स्थित वार्ड में अचानक फॉल सीलिंग गिरने से अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि इस घटना में कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और मरीजों व उनके परिजनों को गंभीर चोटें नहीं आईं। हालांकि, तीन से चार लोगों को मामूली चोटें आईं। यह पहली बार नहीं है जब इस अस्पताल में फॉल सीलिंग की घटना हुई हो; पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसने अस्पताल के निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


MP News: घटना का विवरण


घटना मंगलवार सुबह उस समय हुई जब न्यूरो सर्जरी विभाग के वार्ड में मरीज और उनके परिजन सो रहे थे। अचानक भरभराहट के साथ फॉल सीलिंग का एक हिस्सा नीचे गिर गया, जिससे वार्ड में हड़कंप मच गया। मौके पर मौजूद सिक्योरिटी गार्ड्स ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मरीजों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि सीलिंग के गिरने से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन तीन से चार लोगों को हल्की चोटें आईं।


MP News: स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में लापरवाही


यह घटना स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल के गृह जिले रीवा में हुई है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था और अस्पताल के रखरखाव पर सवाल उठाए हैं। रीवा का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल 150 करोड़ रुपये की लागत से अक्टूबर 2019 में बनकर तैयार हुआ था। लेकिन इसके निर्माण के बाद से ही फॉल सीलिंग की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं। इससे पहले कार्डियोलॉजी विभाग के ऑपरेशन थिएटर, ग्राउंड फ्लोर पर स्टाफ लिफ्ट के सामने, और एक्स-रे कक्ष के पास प्रतीक्षालय में भी सीलिंग गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं।


MP News: निर्माण गुणवत्ता पर सवाल


बार-बार फॉल सीलिंग गिरने की घटनाओं ने अस्पताल के निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 150 करोड़ रुपये की लागत से बने इस अस्पताल में निर्माण के दौरान मानकों की अनदेखी की गई होगी। स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों ने भी अस्पताल प्रशासन और ठेकेदार की लापरवाही पर नाराजगी जताई है।


MP News: प्रशासन की प्रतिक्रिया


घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। मरीजों को सुरक्षित वार्ड में स्थानांतरित किया गया, और क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया। अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जांच कमेटी गठित की जाएगी।

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