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Naxal alliance: कांग्रेस-नक्सल गठजोड़ राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा, डीजीपी-आईजी कांफ्रेंस के बीच बीजेपी ने 'एक्स'अकाउंट पर कांग्रेस नेतृत्व पर किया तीखा हमला

Naxal alliance: नई दिल्ली/रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस और माओवादियों के बीच साठगांठ का आरोप लगाया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर 'नक्सली सहानुभूति' को बढ़ावा देने तथा इसे राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा

Naxal alliance: नई दिल्ली/रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस और माओवादियों के बीच साठगांठ का आरोप लगाया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर 'नक्सली सहानुभूति' को बढ़ावा देने तथा इसे राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा बताया। बता दें कि इस वक्त छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में डीजीपी-आईजी कांफ्रेंस चल रहा है। कांफ्रेंस में नक्सलवाद, उग्रवाद, आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंथन हो रहा है। कांफ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सुरक्षा बलों के प्रमुख मौजूद हैं। ऐसे में बीजेपी नक्सलवाद को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो गई है।


Naxal alliance: सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने 'एक्स' से कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि भारत में नक्सलवाद लंबे समय तक जारी रहा और पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान मुख्य रूप से नीतिगत निष्क्रियता के कारण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। ऐसी स्थिति के पीछे एक महत्त्वपूर्ण कारक सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में सदस्यों के रूप में शामिल किए गए शहरी नक्सलियों का प्रभाव था।


Naxal alliance: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत नक्सली प्रभाव में उल्लेखनीय गिरावट आने का दावा करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि नक्सलियों के समर्थक कांग्रेस नेतृत्व में अभी भी भरे हुए हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी नक्सलियों के प्रति सहानुभूति को बढ़ावा दे रहे हैं। अब समय आ गया है कि कांग्रेस को जवाबदेह ठहराया जाए और इस खतरनाक गठबंधन का पर्दाफाश किया जाए।


Naxal alliance: भाजपा ने आरोप लगाया कि भारत में नक्सली उग्रवाद खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है और यूपीए-दो सरकार के दौरान मुख्य रूप से नीतिगत निष्क्रियता के कारण यह लंबे समय तक जारी रहा। भाजपा ने कहा कि समाचार पत्रों में छपी खबरों के रूप में दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि जब भी सरकार ने नक्सली हिंसा के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने पर विचार किया, तो एनएसी के भीतर शहरी नक्सलियों की आवाजों ने कड़ी आपत्ति जताई।

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