Breaking News
बर्ड फ्लू का मामला, प्रशाषन ढिलाई के मूड में नहीं, अब बाहर की टीमों ने किया संक्रमित क्षेत्र का दौरा
संगम में पेट्रोलिंग कर रहे एसपीजी कमांडो की ये हरकत हुई कैमरे में कैद, सोशल मीडिया में छिड़ गयी चर्चा
दुर्ग निकाय चुनाव: बीजेपी ने जारी किया "अटल विश्वास पत्र", वादों की झड़ी, बागियों को दी सख्त चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ भगदड़ को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया, याचिका खारिज की, हाई कोर्ट जाने की दी सलाह
Create your Account
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: मृत शरीर के साथ यौन संबंध को नहीं माना जा सकता बलात्कार


रायपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के तहत मृत शरीर के साथ यौन संबंध को बलात्कार के अपराध के रूप में नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मामले में दी, जिसमें एक आरोपी पर मृतक के शव के साथ बलात्कार करने का आरोप था। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ये प्रावधान केवल जीवित व्यक्ति के मामले में ही लागू होते हैं, न कि मृत शरीर के संदर्भ में। यह मामला एक नाबालिग लड़की के अपहरण, बलात्कार और हत्या से संबंधित था, जिसका शव मिलने के बाद आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश पर शव के साथ यौन संबंध बनाने का आरोप था। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और पोक्सो अधिनियम के तहत बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया था।
कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि मृत शरीर के साथ बलात्कार "नेक्रोफीलिया" एक जघन्य अपराध जरूर है, लेकिन यह भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि "हम मानते हैं कि शव के साथ किया गया अपराध बेहद घृणित है, लेकिन भारतीय कानून के तहत इसे बलात्कार के अपराध के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।" कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बलात्कार का अपराध केवल जीवित व्यक्ति पर लागू होता है, न कि मृतक के शव पर। इस मामले में आरोपी नीलकंठ नागेश को आईपीसी की धारा 201 (अपराध के साक्ष्य को मिटाना) और धारा 34 (सामान्य इरादे से किए गए कार्य) के तहत दोषी ठहराया गया और उसे सात साल की सजा सुनाई गई। वहीं, दूसरे आरोपी नितिन यादव को बलात्कार, अपहरण और हत्या के आरोप में दोषी पाया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
अभियोजन पक्ष ने तर्क किया था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मृत्यु के बाद भी व्यक्ति का सम्मान और अधिकार सुरक्षित रहता है, और मृत शरीर के साथ किए गए व्यवहार को भी कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार कर दिया और कहा कि मौजूदा कानून के तहत यह मामला बलात्कार के तहत नहीं आता है। इस निर्णय से यह साफ हो गया कि भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार का अपराध केवल जीवित व्यक्तियों के लिए है, मृत शरीर के साथ किए गए किसी भी कृत्य को बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। इस फैसले ने कानून के दायरे में महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं, खासकर मृतक के अधिकारों और उनके शव के साथ किए गए व्यवहार को लेकर। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि यह विवादित मामला वर्तमान समय के कानून के तहत हल किया गया है, जो केवल जीवित पीड़ितों के लिए लागू होता है।
Related Posts
More News:
- 1. NIA Raid: 4 Aides of Top Naxalite Leaders Arrested in Chhattisgarh, Taken Into Custody from Kanker
- 2. अभिनेता से नेता बने राजेश अवस्थी 'गरियाबंद वाला' का दिल का दौरा पड़ने से निधन
- 3. दिल्ली चुनावी नतीजे, बड़ा उलटफेर, ओखला क्षेत्र से अमानतुल्लाह खान पीछे चल रहे
- 4. विधान सभा अध्यक्ष ने लिखा विधायकों को पत्र, इस मुद्दे को उठाया
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Popular post
Live News
Latest post
You may also like
Subscribe Here
Enter your email address to subscribe to this website and receive notifications of new posts by email.