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Ayodhya Ram Mandir: राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा को एक वर्ष पूरे, जानिए अयोध्या राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के एक साल बाद, मंदिर निर्माण की यात्रा और प्रगति की जानकारी, जिसमें राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा और 80% निर्माण कार्य की उपलब्धि शामिल है।

Ayodhya Ram Mandir: प्रयागराज : राम मंदिर के उद्घाटन का आज एक वर्ष पूरा हो जाएगा, जो भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। एक वर्ष पहले, इसी दिन अयोध्या में भव्य राम मंदिर के राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ था, जो ऐतिहासिक उत्सव के बीच संपन्न हुआ था। इस विशेष अवसर पर मंदिर निर्माण की यात्रा और इसके लगातार हो रहे विकास की ओर नज़र डालना जरुरी हो गया है। राम मंदिर निर्माण की यात्रा सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के साथ शुरू हुई थी, जो 9 नवंबर 2019 को आया। इस फैसले ने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। इसके बाद से अब तक राम मंदिर का लगभग 80% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, और उम्मीद जताई जा रही है कि मंदिर अगले आठ से दस महीनों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा। वर्तमान में, राम लल्ला के स्थान को संतुलित करने वाली भू-तल (Bhootal) की प्रतिष्ठा हो चुकी है, जबकि मंदिर के पहले और दूसरे तल का निर्माण कार्य जारी है और मंदिर का शिखर आकार ले रहा है।


Ayodhya Ram Mandir: निर्माण में चुनौतियाँ और प्रगति

निर्माण के चार वर्षों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में पाइल फाउंडेशन पर परीक्षण किए गए थे, जिनके तहत मंदिर की संरचना को आकार देने के लिए पाइल्स का उपयोग किया गया था, लेकिन जब इन पाइल्स पर भूकंपीय परीक्षण किए गए, तो वे टूट गए, जिसके बाद योजनाओं में बदलाव किया गया। फाउंडेशन की गहराई 50 फीट तक खोदी गई, और संरचना को स्थिर बनाने के लिए पत्थर की स्लैब लगाई गई। इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन कोरोना महामारी ने कई महीनों तक कार्य में देरी की। फिर भी, प्रगति निरंतर रही और तीन सालों में भू-तल का निर्माण कार्य पूरा हुआ। 22 जनवरी 2024 को राम लल्ला की प्रतिष्ठा इस स्तर पर हुई। राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा के अनुसार, मंदिर का निर्माण निर्धारित समयरेखा के अनुसार हो रहा है, और लगभग 80% काम पूरा हो चुका है।





Ayodhya Ram Mandir:
राम मंदिर के प्रमुख हिस्सों का निर्माण समयरेखा

मार्च 2025: मंदिर के शिखर का निर्माण

अप्रैल 2025: मंदिर और सात मंडपों का निर्माण पूर्ण

अगस्त 2025: शेषावतार मंदिर का निर्माण पूर्ण

अक्टूबर 2025: परिकोटा (बाहरी दीवार) का निर्माण पूर्ण


राम मंदिर की वास्तुकला का विस्तृत विवरण

राम मंदिर पारंपरिक नागर शैली में निर्माण हो रहा है। मंदिर की डिज़ाइन की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

लंबाई: 380 फीट (पूर्व-पश्चिम), चौड़ाई: 250 फीट, ऊंचाई: 161 फीट, मंदिर में तीन मंजिलें होंगी, प्रत्येक की ऊंचाई 20 फीट होगी, और इसमें कुल 392 स्तंभ और 44 दरवाजे होंगे।


भू-तल (Ground floor): राम लल्ला की मूर्ति स्थित होगी।

पहली मंजिल: श्रीराम दरबार समर्पित होगा, जिसमें पाँच मंडप होंगे: नृत्यमंडप, रंगमंडप, गुहमंडप, प्रार्थनामंडप और कीर्तिनामंडप। दूसरी मंजिल: यहां विभिन्न देवताओं की मूर्तियाँ और आंतरिक सजावट की जाएगी।


Ayodhya Ram Mandir: भक्तों के लिए सुविधाएँ

राम मंदिर में भक्तों के लिए विभिन्न सुविधाएँ सुनिश्चित की गई हैं:

100 फीट चौड़ा राम जन्मभूमि पथ *विशेष रूप से विकलांग भक्तों के लिए व्हीलचेयर और लिफ्ट की सुविधा

मंदिर तक पहुँचने के लिए 32 सीढ़ियाँ

पीने के पानी और छांव के लिए शेड्स

मेडिकल सहायक केंद्र के तहत आधुनिक अस्पताल

अमावा मंदिर में मुफ्त भोजन सेवा राम मंदिर से 100 मीटर दूर स्थित अमावा मंदिर में श्रद्धालुओं को तीन बार मुफ्त भोजन सेवा प्रदान की जाती है। श्रद्धालुओं को आधार कार्ड या अन्य वैध पहचान पत्र दिखाकर इस सेवा का लाभ उठाया जा सकता है। प्रतिदिन लगभग 10,000 से 15,000 श्रद्धालुओं को भोजन प्रदान किया जाता है।


Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर का भविष्य: निर्माण समयरेखा और चुनौतियाँ

निर्माण कार्य में कुछ श्रमिकों की कमी के कारण चुनौतियाँ आई हैं, लेकिन इन समस्याओं के समाधान के लिए अतिरिक्त श्रमिकों की मांग की गई है। मंदिर के शिखर का निर्माण मार्च 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। राम मंदिर में कुल 9,250 मूर्तियाँ लगाई जाएंगी, जिनमें से प्रत्येक मूर्ति एक ही शिल्पकार द्वारा तैयार की जा रही है, ताकि कलात्मकता में समानता बनी रहे।


Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर के एक साल का महत्वपूर्ण क्षण

22 जनवरी 2024 को राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा के एक साल पूरा होने के इस ऐतिहासिक पल में राम मंदिर की निर्माण यात्रा न केवल मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को दर्शाती है, बल्कि यह पूरे दुनिया के हिंदू समुदाय की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक भी है। आने वाले वर्षों में इस भव्य परियोजना के पूर्ण होने के साथ भारत और वैश्विक हिंदू समुदाय के लिए यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मील का पत्थर साबित होगा।

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