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Hartalika Teej 2025 : 25 या 26 अगस्त, कब है हरतालिका तीज? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और मंत्र


- Rohit banchhor
- 23 Aug, 2025
आइए जानते हैं हरतालिका तीज की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और मंत्र।
Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज, जो अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है, इस वर्ष 26 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ अविवाहित कन्याओं के लिए भी खास महत्व रखता है। आइए जानते हैं हरतालिका तीज की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और मंत्र।
Hartalika Teej 2025: सही तिथि-
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त 2025 को दोपहर 12:35 बजे शुरू होगी और 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:55 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त-
हरतालिका तीज की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:56 बजे से सुबह 8:31 बजे तक रहेगा, जो कुल 2 घंटे 35 मिनट का समय प्रदान करता है। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है।
पूजा सामग्री-
हरतालिका तीज की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री आवश्यक है:
1. मिट्टी का कलश, गणेश जी की मूर्ति/तस्वीर, रेत/काली मिट्टी (शिव-पार्वती की मूर्ति बनाने के लिए)
2. लकड़ी का पाटा/चौकी, लाल/पीला कपड़ा, केले के पत्ते
3. नारियल, फूल, बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा फल/फूल, कलावा, अबीर, सफेद चंदन, कुमकुम
4. एक जोड़ी जनेऊ, फल, गाय का घी, सरसों तेल, कपूर, धूप, घी का दीपक, पंचामृत, मिठाई
5. तांबे/पीतल का लोटा (जल के लिए), सोलह श्रृंगार (चुनरी, काजल, मेहंदी, चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, बिछिया, महावर, कंघी, शीशा आदि)
6. माता पार्वती के लिए नई हरी साड़ी, शिवजी और गणेशजी के लिए वस्त्र
पूजा विधि-
संकल्प: सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वयं को शुद्ध करें। हाथ में फूल और अक्षत लेकर संकल्प मंत्र ‘उमा महेश्वर सायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ का उच्चारण करें।
मूर्ति स्थापना: मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्तियां बनाएं और केले/आम के पत्तों से सजी चौकी पर स्थापित करें। माता पार्वती को मंत्र ‘ॐ उमायै पार्वत्यै जगद्धात्र्यै जगत्प्रतिष्ठायै शान्तिरूपिण्यै शिवायै ब्रह्मरूपिण्यै नमः’ और शिवजी को ‘ॐ हराय महेश्वराय शम्भवे शूलपाणये पिनाकधृषे शिवाय पशुपतये महादेवाय नमः’ के साथ स्थापित करें।
पूजा: जल से आचमन कर पूजा शुरू करें। माता पार्वती को फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम और सोलह श्रृंगार अर्पित करें। शिवजी को बेलपत्र, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, वस्त्र और मालाएं चढ़ाएं।
भोग और आरती: भोग लगाएं, घी का दीपक और धूप जलाकर शिव-पार्वती मंत्र, चालीसा और हरतालिका व्रत कथा का पाठ करें। आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करें, जिसे सुहागिन महिलाएं अपनी मांग में भर सकती हैं।
जागरण और पारण: रातभर जागरण करें। अगले दिन पूजा-पाठ के बाद व्रत का पारण करें और मूर्तियों का जल में विसर्जन करें।
महत्व और मान्यता-
हरतालिका तीज का व्रत अखंड सौभाग्य, संतान प्राप्ति और दांपत्य जीवन में सुख-शांति के लिए किया जाता है। अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था, जिसके फलस्वरूप उनकी मनोकामना पूर्ण हुई।
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