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Halashashti 2024 : हलषष्ठी व्रत 24 अगस्त को, सगरी खोदकर भगवान शिव और माता गौरी की पूजा, आइए जाने पूजन और मुहूर्त...

Halashashti 2024

Halashashti 2024 : डेस्क न्यूज। संतानों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाने वाला पर्व हलषष्ठी, जिसे कमरछठ भी कहा जाता है,

Halashashti 2024 : डेस्क न्यूज। संतानों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाने वाला पर्व हलषष्ठी, जिसे कमरछठ भी कहा जाता है, इस साल 24 अगस्त को मनाया जाएगा। इस पवित्र पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं, और शहर के चौक-चौराहों में पसहर चावल की बिक्री शुरू हो चुकी है। पिछले साल की तुलना में इस चावल की कीमतों में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि इस पर्व की बढ़ती मांग को दर्शाता है।


Halashashti 2024 : हलषष्ठी पूजन और मुहूर्त-
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 24 अगस्त को सुबह 7.51 बजे से हो रहा है और इसका समापन 25 अगस्त को सुबह 5.30 बजे होगा। इसलिए, उदया तिथि को मानते हुए व्रत 24 अगस्त को रखा जाएगा। यह पर्व महिलाओं द्वारा पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन माताएं पूजा करने के लिए सगरी खोदकर भगवान शंकर, माता गौरी और गणेश जी की पूजा करती हैं। इस पूजा में पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य सामग्रियों का अर्पण किया जाता है। पूजा के बाद, माताएं बिना हल जोते उत्पादित पसहर चावल और छह प्रकार की भाजी का सेवन करके अपना उपवास समाप्त करती हैं।


Halashashti 2024 : पसहर चावल, बिना जोते खेतों में उगने वाला विशेष अन्न
हलषष्ठी पर्व पर पसहर चावल का विशेष महत्व है। यह चावल बिना हल जोते हुए खेतों में उगता है और इसे विशेष रूप से हलषष्ठी व्रत के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस चावल की मांग इस समय बाजार में बहुत अधिक है, और यह 30 से 50 रुपए प्रति पाव की दर से बिक रहा है। बाजार में उपलब्ध पसहर चावल की विभिन्न किस्में भी हैं, जिनमें मोटा और साफ चावल शामिल हैं।


Halashashti 2024 : छत्तीसगढ़ में आदिकाल से मनाया जा रहा है कमरछठ
कमरछठ का यह पर्व छत्तीसगढ़ में आदिकाल से मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं बिना हल चली वस्तुओं का ही सेवन करती हैं और खासतौर पर पसहर चावल, जिसे लाल भात भी कहा जाता है, और छह प्रकार की भाजी का प्रसाद के रूप में सेवन करती हैं। इसके अलावा, इस दिन केवल भैंस के दूध और दही का सेवन किया जाता है।


Halashashti 2024 : कमरछठ का अनुष्ठान और 6 अंक का महत्व
महिलाएं इस व्रत को संतान प्राप्ति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस दौरान, शिव और पार्वती जी की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान गली मोहल्लों और घरों में सगरी यानी दो तालाब की आकृति बनाई जाती है। इसमें 6 अंक का विशेष महत्व होता है, जैसे सगरी में 6-6 बार पानी डाला जाता है, 6 खिलौने, 6 लाई के दोने, और 6 चुकिया (मिट्टी के छोटे घड़े) चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा, 6 प्रकार के छोटे कपड़े सगरी के जल में डुबोए जाते हैं और संतान की कमर पर उन्हीं कपड़ों से 6 बार थपकी दी जाती है, जिसे पोती मारना कहते हैं।

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