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56 बार समाधि लेने के बावजूद जीवित हैं मौनी महाराज, जानें उनकी रहस्यमयी साधना के बारे में...

मौनी महाराज, जिन्हें रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से जाना जाता है, 56 बार जल और भू समाधि लेने के बावजूद जीवित और स्वस्थ हैं। महाकुंभ मेला 2025 में उनकी साधना और शक्ति को लेकर चर्चा है।

अमेठी: महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2025 पर पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन तक चलेगा. इस दौरान देश भर के कई बाबा चर्चा में है। कुम्भ में कई बाबा सुर्ख़ियों में है कोई ई रिक्शा बाबा, कोई IIT वाले बाबा, और कोई रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से मशहूर है। आज हम आपको मौनी महाराज के बारे में बताएँगे। उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित परमहंस आश्रम के मौनी महाराज, जिन्हें रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है, ने अब तक 56 बार जल और भू समाधि ली है। यह सुनकर चौंकाने वाली बात यह है कि इतने बार समाधि लेने के बावजूद वह जीवित और स्वस्थ हैं, जो उनकी साधना और मानसिक शक्ति को लेकर कई सवाल खड़े करता है।



मौनी महाराज ने पिछले 44 वर्षों से अन्न, नमक और मीठे का त्याग कर केवल फलाहार पर जीवनयापन किया है। उनकी यह साधना और तपस्या न केवल उनके अनुयायियों के लिए एक रहस्य बन चुकी है, बल्कि यह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन चुकी है। हाल ही में प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले के दौरान मौनी महाराज ने एशियन न्यूज से एक खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने न सिर्फ अपनी साधना की गहरी बातें साझा की, बल्कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी अपने विचार रखे। बातचीत के दौरान मौनी महाराज भावुक भी हो गए और उन्होंने देश की संस्कृति और धार्मिक पहचान को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। मौनी महाराज का मानना है कि भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की प्राचीनता को बचाने के लिए हमें जागरूकता फैलानी होगी।


उन्होंने बताया कि उनकी साधना का उद्देश्य केवल आत्मनिर्भरता और मानसिक शक्ति का विकास नहीं, बल्कि समाज में सत्य और धर्म की प्रतिष्ठा स्थापित करना भी है। इनकी साधना और जीवनशैली के प्रति लोगों में गहरी श्रद्धा और उत्सुकता है। उनके अनुयायी मानते हैं कि उनका जीवन एक चमत्कार से कम नहीं, और यही कारण है कि वे अब तक 56 बार समाधि लेने के बाद भी जीवित हैं।

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