चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने से पहले 54 हजार हेक्टेयर बढ़ा कूनो नेशनल पार्क का वनक्षेत्र

भोपाल। कूनो नेशनल पार्क का क्षेत्रफल अब 1 लाख 77 हजार हेक्टेयर हो गया है। श्योपुर और शिवपुरी के 54 हजार 249 हेक्टेयर वन क्षेत्र को भी कूनो नेशनल पार्क में शामिल कर लिया है। इससे इसके वनक्षेत्र में अब इजाफा हो गया है। चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने से पहले उनके रहवास की पूरी व्यवस्था की जा रही है। राजस्थान के वन अधिकारियों को भी चीता प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा। वे भी इनकी निगरानी करेंगे। गौरतलब है कि चीता प्रोजेक्ट को 17 सितंबर को दो साल हो जाएगा।
दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर 2022 को चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। चीता प्रोजेक्ट के लिए नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे। कूनो नेशनल पार्क के चीतों का ज्यादातर समय बाड़ों में ही रखा गया है। चीतों को खुले में छोड़ने की अनुमति अभी एनसीटीए ने नहीं दी है। चीता प्रोजेक्ट के दो साल सफल माने जा रहे हैं। चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने से पहले इनके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। इसी को देखते हुए वन क्षेत्र को बढ़ाया गया है। पिछले साल कूनो के खुले जंगल में 10 से ज्यादा चीतों को छोड़ा गया था। गर्मी के दिनों में गले में इंफेक्शन फैल जाने से इनकी मौत होने लगी थी। इसके बाद से चीतों को खुले जंगल में नहीं छोड़ा गया है।
कूनो नेशनल पार्क में अब 12 चीते और 12 शावक
कूनो नेशनल पार्क में अब 12 चीते और 12 शावक बचे हैं। इस साल कूनो नेशनल पार्क में 14 शावकों का जन्म हुआ था। इनमें से चीता गामिनी के दो शावकों की मौत हो चुकी है। अब कूनो नेशनल पार्क में 12 12 शावक बचे हैं। वहीं दो चीतों की मौत भी इस साल हो चुकी है। चीता पवन की मौत 27 अगस्त को हो गई थी। इससे पहले 16 जनवरी को चीता शौर्य की मौत हो गई थी।
गांधी सागर में की जल्द आएंगे चीते
गांधी सागर अभयारण्य को भी चीतों के लिए तैयार किया जा रहा है। यहां भी इस साल के अंत तक चीतों को बसाए जाने की तैयारी है। जानकारी के मुताबिक गांधी सागर अभयारण्य में पहली खेप में 8 चीते लाए जा सकते हैं। इनके लिए अभयारण्य में बाड़े भी तैयार हो चुके हैं। विशेषज्ञों का दल भी गांधी सागर अभयारण्य का भ्रमण कर चुका है। गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिए पिछले एक साल से तैयार किया जा रहा है।