isro CMS-03 rocket launch: ISRO के बाहुबली रॉकेट LVM3 ने किया कमाल, खराब मौसम, तेज हवाएं... फिर भी सैटेलाइट को सही जगह पहुंचाया
- Rohit banchhor
- 02 Nov, 2025
वजन करीब 4,410 किलोग्राम है जो सैटेलाइट भारतीय नौसेना के लिए समुद्री इलाके में संचार व निगरानी को मजबूत करेगा।
isro CMS-03 rocket launch: श्रीहरिकोटा। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में रविवार 2 नवंबर एक और इतिहास जुड़ गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने खराब मौसम, तेज हवाएं के बावजूद LVM3-M5 रॉकेट की मदद से CMS-03 (GSAT-7R) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। ये भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसका वजन करीब 4,410 किलोग्राम है जो सैटेलाइट भारतीय नौसेना के लिए समुद्री इलाके में संचार व निगरानी को मजबूत करेगा।
लॉन्च की मुश्किलें: मौसम की मार झेलकर भी जीत-
सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्च प्लान दोपहर का था. लेकिन सुबह से ही आसमान पर बादल छा गए थे। तेज हवाओं ने रॉकेट की उड़ान को मुश्किल बना दिया। ISRO के वैज्ञानिकों ने रडार और मौसम की मॉनिटरिंग से घंटों इंतजार किया। आखिरकार, एक छोटे से विंडो का फायदा उठाकर लॉन्च हो गया। LVM3 रॉकेट ने सिर्फ 50 मिनट में सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में छोड़ दिया, जिसके बाद कंट्रोल रूम में तालियां बज उठीं।
चीफ बोले- फिर हुआ चमत्कार-
लॉन्च के तुरंत बाद ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने मीडिया से बात की। उन्होंने खुशी से कहा कि मौसम ने साथ नहीं दिया, लेकिन LVM3 ने देश के लिए फिर चमत्कार कर दिखाया...भारत को बधाई! हमने भारतीय मिट्टी से अपना सबसे भारी जियो कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। हमारा स्पेस सेक्टर तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, जो नौसेना और दूसरे यूजर्स को शानदार सेवाएं देगा।
GSAT-7R सैटेलाइट: नौसेना का नया हथियार-
CMS-03 को GSAT-7R नाम से जाना जाता है। ये पूरी तरह से भारत में डिजाइन और बनाया गया है। पहले का GSAT-7 सैटेलाइट पुराना हो चुका था, अब ये उसकी जगह लेगा। isro CMS-03 rocket launch: क्या करेगा ये?
1. हिंद महासागर के 70% हिस्से और भारत की जमीन पर मजबूत सिग्नल देगा. नौसेना के जहाज, हवाई जहाज, पनडुब्बियां और ऑपरेशन सेंटर्स के बीच आवाज, डेटा और वीडियो का तेज संचार संभव होगा।
2.खास तकनीक: इसमें कई बैंड्स वाले ट्रांसपोंडर्स हैं, जो हाई-स्पीड बैंडविथ देंगे. ये कनेक्शन सुरक्षित और बिना ब्रेक का रहेगा।
3.आत्मनिर्भरता का प्रतीक: 100% देसी पार्ट्स से बना ये सैटेलाइट दिखाता है कि भारत अब स्पेस टेक्नोलॉजी में बादशाह बन चुका है। नौसेना को विदेशी सैटेलाइट्स की जरूरत कम पड़ेगी।
4.इससे समुद्री डोमेन अवेयरनेस बढ़ेगी. मतलब, दुश्मन की हरकतों पर नजर रखना और तुरंत जवाब देना आसान हो जाएगा। जो आज के जटिल सुरक्षा हालात में ये नौसेना के लिए वरदान है।

