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बसंत पंचमी 2025: कब और कैसे करें मां सरस्वती की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पालन करने योग्य नियम


नई दिल्ली। बसंत पंचमी भारत में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जिसे माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है, जो नई ऊर्जा, उमंग और हरियाली का प्रतीक है। इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है, इसलिए इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। विशेष रूप से छात्र, कलाकार और संगीत प्रेमी इस दिन मां सरस्वती की आराधना कर ज्ञान और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कब मनाया जायेगा बसंत पंचमी
इस वर्ष बसंत पंचमी की तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग इसे 2 फरवरी को तो कुछ 3 फरवरी को मना रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 बजे शुरू होगी और 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर, बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन रेवती नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ बनाता है।
क्या है पूजा की विधि
बसंत पंचमी के दिन पूजा विधि का विशेष महत्व है। सुबह स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को सजाएं। मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को पीले वस्त्र पर स्थापित कर उनका विधिपूर्वक पूजन करें। भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और नवग्रह की पूजा के बाद मां सरस्वती को सफेद वस्त्र, हल्दी, अक्षत, पीले फूल, मिठाई और मीठे पीले चावल का भोग अर्पित करें। इसके बाद सरस्वती वंदना करें और ज्ञान प्राप्ति की प्रार्थना करें। पूजा के उपरांत मां सरस्वती की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
इन नियमो का पालन जरुरी
इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक माना जाता है। बसंत पंचमी के अवसर पर पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है, साथ ही गरीब बच्चों को किताबें, पेन और शिक्षा से जुड़ी सामग्री दान करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। इस दिन किसी से कटु शब्द न कहें, झूठ न बोलें और तामसिक भोजन से परहेज करें। काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें और पूजा करने के बाद ही भोजन करें। बसंत पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के कई हिस्सों में पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है और लोग उल्लास के साथ इस दिन का आनंद लेते हैं। बसंत पंचमी न केवल शिक्षा और ज्ञान का प्रतीक है बल्कि यह हमें जीवन में सकारात्मकता और नई ऊर्जा का संचार करने की प्रेरणा भी देता है। इस शुभ अवसर पर मां सरस्वती की कृपा सभी पर बनी रहे और हर किसी का जीवन ज्ञान, विद्या और समृद्धि से परिपूर्ण हो।
बसंत पंचमी पर क्या करें?
-मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करें और ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
- गरीब बच्चों को किताबें, पेन और शिक्षा से जुड़ी सामग्री दान करें।
- पीले रंग के वस्त्र धारण करें और पीले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- माता सरस्वती को सफेद फूल, सफेद मिठाई और पीले चावल अर्पित करें।
- संगीत, कला और शिक्षा से जुड़े कार्यों की शुरुआत करें।
बसंत पंचमी पर क्या न करें?
- गुस्सा और कठोर शब्दों का प्रयोग न करें, इससे मां सरस्वती नाराज हो सकती हैं।
- झूठ बोलने से बचें और किसी के प्रति बुरा व्यवहार न करें।
- काले रंग के कपड़े पहनने से बचें, पीले और सफेद रंग को प्राथमिकता दें।
- तामसिक भोजन जैसे मांसाहार और नशे का सेवन न करें।
- पूजा करने से पहले भोजन न करें, उपवास रखना शुभ माना जाता है।*
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