लोकसभा में विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को लेकर जताई चिंता, पड़ोसी देशों की "कट्टर सोच" को किया बेनकाब

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार उठा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इन देशों की "कट्टर सोच" को बदलना भारत के बस में नहीं है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हमले
जयशंकर ने बताया कि फरवरी 2024 में पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ 10 बड़ी घटनाएं हुईं। इनमें 7 मामलों में हिंदू लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण, 2 सामान्य अपहरण और 1 घटना में होली मनाने वाले हिंदू छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई शामिल है। सिख समुदाय भी निशाने पर रहा, जहां एक सिख परिवार पर हमला हुआ, एक पुराने गुरुद्वारे को खोलने की कोशिश करने वाले परिवार को धमकी दी गई और एक सिख लड़की का अपहरण कर धर्मांतरण कराया गया। इसके अलावा, अहमदिया समुदाय के दो लोगों को निशाना बनाया गया और एक मानसिक रूप से अस्थिर ईसाई पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया गया।
बांग्लादेश में चिंताजनक स्थिति
बांग्लादेश में भी हालात गंभीर हैं। जयशंकर ने कहा कि 2024 में वहां अल्पसंख्यकों पर 2,400 हमले दर्ज हुए, जबकि 2025 में अब तक 72 घटनाएं हो चुकी हैं। भारत ने बांग्लादेश सरकार के साथ यह मुद्दा उठाया है और विदेश सचिव ने अपनी हालिया यात्रा में भी इस पर चिंता जताई।
"पाकिस्तान की सोच नहीं बदल सकती"
जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, "हम वैश्विक मंचों पर अपनी आवाज बुलंद करते हैं, लेकिन पड़ोसियों की संकीर्ण मानसिकता को बदलना हमारे हाथ में नहीं। इंदिरा गांधी भी पाकिस्तान की इस सोच को नहीं बदल पाई थीं।"
भारत का रुख
भारत इस मामले में कूटनीतिक दबाव बनाए रखेगा। संयुक्त राष्ट्र और ओआईसी जैसे मंचों पर मानवाधिकारों का मुद्दा उठाया जाएगा, द्विपक्षीय बातचीत में अल्पसंख्यक सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी और पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों जैसे पीड़ितों को सहायता दी जाएगी।