लिव-इन कपल्स की UCC में एंट्री, रजिस्ट्रेशन के लिए 1 महीने की टाइम लिमिट शुरू

Uttarakhand News : देहरादून। उत्तराखंड में लागू हुए समान नागरिक संहिता (UCC) के बाद, लिव-इन कपल्स के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है। UCC कानून के लागू होने के 9 दिनों बाद, 3 जोड़ों ने लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आवेदन किया है। इस नए कानून के तहत, सभी कपल्स को एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, अन्यथा उन्हें 6 महीने तक की जेल या 25 हजार रुपये जुर्माना हो सकता है।
Uttarakhand News : रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 जोड़े पहले ही UCC कानून के तहत अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। यदि कपल्स तय समय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं, तो उन्हें जुर्माने के साथ ही 6 महीने की सजा का भी सामना करना पड़ सकता है। तय समय के बाद रजिस्ट्रेशन में 1,000 रुपये अतिरिक्त फीस भी लगाई जाएगी।
Uttarakhand News : UCC विधेयक के तहत अब विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। जो दंपत्ति इस पंजीकरण प्रक्रिया से बचते हैं, उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा। इसके साथ ही, लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण न कराने पर भी कड़े प्रावधान हैं। इस कानून के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को वैध बच्चा माना जाएगा।
Uttarakhand News : अगर किसी लिव-इन कपल में से किसी एक की उम्र 21 वर्ष से कम है, तो इसकी सूचना उसके माता-पिता या अभिभावकों को निबंधक द्वारा दी जाएगी। इसके अलावा, UCC में यह प्रावधान है कि लिव-इन पार्टनर को अपने इलाके के रजिस्ट्रार के सामने धारा-381(1) के तहत बयान दर्ज कराना होगा, और रजिस्ट्रार 30 दिनों के अंदर पार्टनर के बारे में जांच पूरी करेगा।
Uttarakhand News : इस कानून के अंतर्गत, यदि किसी महिला का लिव-इन पार्टनर उसे छोड़ देता है, तो वह मेंटेनेंस का दावा कर सकती है। ऐसे मामले में महिला उस इलाके के कोर्ट में दावा कर सकती है, जहां वह आखिरी बार अपने लिव-इन पार्टनर के साथ रही थी। इसके अलावा, लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को वैध संतान माना जाएगा और उसे माता-पिता की विरासत में समान अधिकार प्राप्त होंगे।