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संभव स्टील ट्यूब्स लिमिटेड मे मजदुर की मौत पर सहायता राशि को लेकर सुलगता सवाल !

कहा जा रहा है कि प्लांट में ही मजदुर की मौत हो गई थी ,उसके बावजूद मामले पर पर्दा डालने रायपुर एम्स मजदुर की डेथ बांडी को ले जाया गया

मृतक परिवार के परिजन को न्यूनतम दस लाख रुपए सहायता राशि उद्योग प्रबंधन के द्वारा दे देना था ।

अजय नेताम/ रायपुर: संयंत्र में कार्यरत मजदुर की मौत के पश्चात परिजन दर दर भटकने को मजबुर है ,वहीं संयंत्र प्रबंधन इस मामले पर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं । इससे मृतक मजदुर के परिजनो में संयंत्र प्रबंधन के खिलाफ नाराजगी व्याप्त है । मामला रायपुर जिला , तिल्दा-नेवरा थाना क्षेत्रांतर्गत ग्राम सरोरा मे संचालित संभव स्टील ट्यूब्स लिमिटेड की है , मिली जानकारी के अनुसार 20/06 /2024 को ग्राम महुआनी जिला-सारण राज्य बिहार का निवासी नरसिंग शाह  का संभव संयंत्र के अंदर ड्यूटी के दौरान  गिर पड़ा और मौत हो गई थी।नरसिंग शाह को देखने के लिए एक घंटे तक कार्यरत मजदूरों ने स्ट्राइक जैसे माहौल लगा था,जिसे आनन फानन में संयंत्र के एंबुलेंस से तिल्दा-नेवरा के एक निजी हास्पीटल में उपचार के बहाने लाया गया ,डाक्टरों ने मृत होना बताया ,फिर कम्पनी और ठेकेदार की चालाकी से रायपुर एम्स भेज  दिया गया , लेकिन यहां  इस मामले पर कुछ और बात सामने निकलकर आ रही है।

कहा जा रहा है कि प्लांट में ही मजदुर की मौत हो गई थी ,उसके बावजूद मामले पर पर्दा डालने रायपुर एम्स मजदुर की डेथ बांडी को ले जाया गया । अगर इस बात में अगर सच्चाई है ,तो कहीं ना कहीं उद्योग प्रबंधन के अलावा संबंधित विभाग भी घीरते नजर आ रहे हैं । वहीं यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि मजदुर की मौत की खबर संयंत्र प्रबंधन के द्वारा मृतक के परिजनों को देना उचित नहीं समझा गया।उसे मौत की खबर तब मिली जब मजदुर के डेथ बॉडी को उसके गृह ग्राम स्थल पहूंचाया गया । इधर जब मृतक मजदुर के परिवार बतौर न्याय के लिए बिहार से छत्तीसगढ़ के रायपुर मे 11/07/2024 को पहुंचे तो मृतक नरसिंग शाह का साला सुबोध शाह  मृतक की पत्नी गुड़िया देवी ,पुत्र अजीत कुमार और दो पुत्री को
 एक सप्ताह से आश्वस्त कर झुनझुना पकड़ा कर राजधानी रायपुर के हॉटल में ठहरा दिया  गया।  परिजनों का सब्र का बांध टूटा तो उनके संपर्क में  मजदूर नेता  छाया विधायक रायपुर ग्रामीण राज सिंह हाड़ा को अपनी पीड़ा बताई उन्होंने अपने बिरगांव  क्षेत्र में लाकर उन्हें रहने खाने के साथ घर का बसेरा दिया है और राज सिंह हाड़ा ने कहा जब तल्क मजदूर के परिवार को न्याय नहीं मिलेगा तब तल्क मैं इनका पूरा बीड़ा उठाऊंगा और न्याय दिलाकर रहूंगा । परिजनों का कहना है कि संचालित संबंधित उद्योग संभव स्टील ट्यूब्स लिमिटेड में पांच से छह बार चक्कर काटने पर , जहां पर उद्योग प्रबंधन ने मृतक परिवार को सहयोग करने से हाथ खड़ा कर दिया। उनका कहना था कि मृतक नरसिंग शाह  मजदुर पूजा इंजीनियरिंग ठेके के अंदर काम करता था , इसलिए हमारी जवाबदेही नहीं बनती । इससे  मृतक के हताश पीड़ित परिजनों ने उद्योग के गेट के सामने ही धरना पर बैठने का मन बना लिया। पप्पू अली नामक अपने आप को मजदूर कांग्रेस इंटक छत्तीसगढ़ का  प्रदेश अध्यक्ष बताकर एसडीएम प्रकाश टण्डन  को ज्ञापन भी दिया तिल्दा नेवरा थाना आकर ज्ञापन देकर सीधा सम्भव प्लांट जाकर गेट के सामने में खड़ा हो गया वहाँ मजदूर नेता ने  सम्भव स्टील ट्यूब्स एलटीडी के एच आर हेड मूर्ति से सम्पर्क करने पर उसे बातचीत करने बुला लिए।

एच आर एडमिन ऑफिस में कम्पनी के उप-प्रबंधक से पप्पू अली की घन्टो बातचीत हुई। और मृतक के मजदूर परिवार को 20 लाख रु मुआवजा दिलाने की बात हुई लेकिन तीन लाख रु में आकर अटक गई ।अब सवाल यहां पर खड़ा होता है कि ऐसी कौन सी बात को लेकर  कथित पप्पू अली मजदुर नेता व उद्योग प्रबंधन के मध्य सहमति बनी  कि ,मृतक परिवार को बतौर मुआवजा  दी जाने वाली राशि में  इतना बडा अंतर सामने आया  है । परिवार वालो का आरोप और ये कयास लगाया जा रहा है कि ऐसा तो नहीं मृतक के नाम पर  कथित इंटक नेता व उद्योग  प्रबंधन के बीच बड़ा गड्डी खेल हुआ हो ।  इधर उद्योग प्रबंधन पर आरोप है कि उन्होंने बड़ी चालाकी के साथ  तीन अगस्त को पूजा इंजीनियरिंग और मृतक की पत्नी गुड़िया देवी,अन्नू कुमारी ,मुस्कान को पक्षकार बनाकर  तीन स्टाम्प बनवाकर तीन चेक एक एक लाख रुपये देकर थमा दिया गया ।बात इतने में नहीं खत्म होती है और इसमें मजेदार बात सामने आ गई कि जो  एक एक लाख रुपये का तीन चेक दिया गया था ,उस चेक में भी राशि नहीं थी ,फिर कई दिनों के बाद ठेकेदार  पांडेय का मुंसी विनय रायपुर पहुंचता है और बैंक ऑफ बड़ौदा की चेक को वापिस लेके ,बैंक में खड़े होकर तीन लाख की डी डी बनवा देता है ,जिसमे गुड़िया देवी के अकाउंट खाते में एक लाख रु जुड़ जाता है और वही दोनों पुत्री के खातों में राशि जाता ही नहीं है। फिर कुछ दिनों के बीत जाने के बाद मुंसी विनय रायपुर में एक एक लाख का चेक दोनों बेटियों के नाम दे देता है ,आज तल्क चेक क्लियर नहीं हो पाया है, मृतक के पत्नी अपने तीन बच्चों के साथ रोज खून की आँसू रो रहे है। चूंकि बताना ये भी लाजमी है कि मृतक नरसिंग शाह महीने में ओवर टाइम ड्यूटी करके 20-से 22 हजार रुपये कमाता था ,हर महीने अपने परिवार को 15 -18 हजार भिजवाया करता था। चुंकि अब उनके गुजर बसर का संसाधन नहीं होने से बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

परिजनों ने बिहार के विधायक छग के प्रभारी नितीन नबीन ,मुख्यमंत्री ,उद्योगमंत्री , सहित एस एसपी,कलेक्टर को  लिखित शिकायत किया है ,वही परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमें जब तक  न्याय नहीं मिलेगा तब तलक हम संघर्ष करते रहेंगे ।इससे उद्योग प्रबंधन मे‌ हलचल मचने लगी है। गौरतलब हो कि क्षेत्र में संचालित कथित उद्योग में इस प्रकार की घटना को अक्सर दबा देने का आरोप लगता ही  है क्योंकि ये इसलिए  कि बिहार ,उत्तर प्रदेश , सहित अन्य राज्यों से आये मजदूरों को काम में रखते है , ताकि कोई घटना ,दुर्घटना ,हादसा हो तो दबा दिया जाए, वहीं क्षेत्रीय मजदूरों को रखने से कुछ भी होने से लोगों को पता चल जाता है । इधर इस मामले पर राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार सिंह का कहना है कि कथित इंटक नेता पप्पु अली जो कि इंटक का कोई पदाधिकारी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि इंटक के चाहे प्रदेश अध्यक्ष हो या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष उसे इंडस्ट्रीज में नेतागिरी करने का सहमति नहीं है ,चुंकि श्रमिक से संबंधित किसी भी मामले पर नेतृत्व करने हेतु उस उद्योग के श्रमिक ही अपना नेता चुनता है, उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रीज के लिए सेपरेड यूनियन रजिस्टर्ड होता है।

राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस  इंटक यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने आगे कहा कि जो‌ लोग फर्जी रूप से इंटक का नेता बताकर नेतागिरी कर रहे हैं उन पर प्रशासन को कार्यवाही करनी चाहि , चुंकि प्रदेश में इंटक के जितने भी अधिकृत पदाधिकारी है उनका लिस्ट लेवर डिपार्टमेंट के पास सुरक्षित हैं। उन्हें संज्ञान में लेने की आवश्यकता है। इसके अलावा  उद्योग में कार्यरत मृतक मजदुर के संबंध में कहा कि शासकीय गाइडलाइंस के अनुसार मृतक के परिजनों को प्रथम बार न्यूनतम दस लाख रुपए तक की मुआवजा राशि मिलनी चाहिए ,जो शासन से निर्धारित है, इसके अलावा  श्रमिक किस नेचर का काम करता था उसके हिसाब से हेल्थ सेफ्टी विभाग मुआवजा तय करता है। इसके लिए लेवर कोट मे पैसा जमा करनी होती है । और वही मुआवजा का निर्धारण होता है, उसके हिसाब से उद्योग प्रबंधन को मुआवजा देनी होती है ,कोई भी कम्पनी को एक दो दिन में ही मुआवजा दे देना चाहिए।

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