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चीन के एआई एप्प DeepSeek से सवाल-जवाब, खुद परखिए कितना सच और कितना झूठ !
DeepSeek: नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में चीन तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है। हाल ही में लॉन्च किया गया AI DeepSeek इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह चैटबॉट अपनी किफायती कीमत और पर्फोमन्स के कारण चर्चा में है, लेकिन इसके राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर जवाब देने से इनकार करने के कारण यह एक नई बहस को जन्म दे रहा है। क्या यह एक उभरती हुई तकनीक का प्रतीक है या फिर सरकार द्वारा नियंत्रित सेंसरशिप का एक और उदाहरण?
DeepSeek: नई तकनीक की ओर एक कदम
DeepSeek को 2023 में लियांग वेनफेंग द्वारा लॉन्च किया गया था और यह OpenAI के ChatGPT जैसे प्रमुख मॉडलों को चुनौती दे रहा है। इस मॉडल को ओपन-सोर्स के रूप में पेश किया गया है, जिससे डेवलपर्स इसे अपने अनुसार कस्टमाइज़ कर सकते हैं। इसकी किफायती कीमत और उच्च कार्यक्षमता इसे स्टार्टअप और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षक बनाती है। हालांकि, DeepSeek की सबसे बड़ी विशेषता इसकी नियंत्रित प्रतिक्रिया प्रणाली है, जो इसे चीन सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य करती है। यही कारण है कि यह चैटबॉट कुछ विशेष विषयों पर खुलकर जवाब देने से बचता है।
संवेदनशील मुद्दों पर DeepSeek की चुप्पी
हाल ही में DeepSeek तब विवादों में घिर गया जब इसने अरुणाचल प्रदेश से जुड़े सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया। सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट के अनुसार, जब एक उपयोगकर्ता ने पूछा, "क्या अरुणाचल प्रदेश भारत का राज्य है?" तो चैटबॉट ने जवाब दिया, "मुझे खेद है, यह मेरे मौजूदा दायरे से बाहर है।" इसी तरह, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1989 के तियानमेन स्क्वायर घटना से जुड़े सवालों पर भी इसने या तो टालमटोल किया या फिर पूरी तरह से जवाब देने से बचा। यह स्पष्ट करता है कि इस चैटबॉट को राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषयों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं है।
DeepSeek बनाम ChatGPT: पारदर्शिता बनाम सेंसरशिप
जब यही सवाल OpenAI के ChatGPT से पूछे गए, तो उसने विस्तृत और संतुलित उत्तर दिए, जो ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित थे। इस तुलना यह साफ़ है कि स्वतंत्र रूप से विकसित AI और सरकार-नियंत्रित AI के बीच कितना बड़ा अंतर हो सकता है। ChatGPT और अन्य पश्चिमी AI मॉडल जहां पारदर्शिता और निष्पक्षता पर ध्यान देते हैं, वहीं DeepSeek जैसे AI मॉडल को सरकार के सख्त दिशानिर्देशों का पालन करना पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि चीन में निर्मित AI प्रौद्योगिकियां उपयोगकर्ताओं को पूरी जानकारी देने की बजाय नियंत्रित और सेंसर की गई सूचनाएँ प्रदान करती हैं।
तकनीकी प्रगति या सरकारी नियंत्रण का उपकरण?
DeepSeek को ओपन-सोर्स एआई के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो इसे अधिक सुलभ बनाता है। लेकिन इसकी सेंसरशिप और सरकारी नियंत्रण की संभावनाएँ इसे स्वतंत्र AI की तुलना में सीमित बनाती हैं। यह सवाल उठता है कि क्या यह मॉडल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है या फिर चीन सरकार के प्रचार और नियंत्रण का एक नया माध्यम? AI तकनीक के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, यह बहस और अधिक प्रासंगिक हो जाती है। क्या AI का उपयोग केवल ज्ञान और नवाचार को बढ़ाने के लिए किया जाएगा, या इसे सूचना के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा? DeepSeek इस जटिल प्रश्न का एक ठोस उदाहरण बन सकता है।
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