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Navratri 2024 : नवरात्रि अष्टमी और नवमी का व्रत कब रखने को लेकर लोगों में कंफ्यूजन, आइए जानें सही तारीख और महत्व...

Navratri 2024

इसलिए अष्टमी का व्रत 10 या 11 अक्टूबर कब रखना है इसे लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है।

Navratri 2024 : डेस्क न्यूज। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी पूजन का विशेष महत्व है। लेकिन, इस बार अष्टमी और नवमी के व्रत को लेकर लोगों में बड़ा कंफ्यूजन बना हुआ है। दरअसल, नवरात्रि के आरंभ से ही एक दिन में दो तिथियां लगने के कारण ऐसा हुआ है। इसलिए अष्टमी का व्रत 10 या 11 अक्टूबर कब रखना है इसे लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है। तो आइए जानते हैं नवरात्रि 2024 अष्टमी और नवमी का पूजन कब किया जाएगा।


Navratri 2024 : अष्टमी और नवमी का व्रत-
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर को दोपहर में 12 बजकर 32 मिनट पर हो रहा है और 11 तारीख को अष्टमी तिथि दोपहर में 12 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। इसके तुरंत बाद ही (10 अक्टूबर गुरुवार के दिन) नवमी तिथि का आरंभ हो जाएगा। जबकि नवमी तिथि 12 तारीख को सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। पंचांग की गणना के अनुसार, जिन लोगों को अष्टमी का व्रत रखना है वह 10 अक्टूबर (गुरुवार) को अष्टमी का व्रत रखेंगे और नवमी तिथि का व्रत रखना है वह 11 अक्टूबर शुक्रवार के दिन रखेंगे।


Navratri 2024 : कन्या पूजन-
तिथि के हेरफेर के बीच में कंफ्यूजन यह बना हुआ है कि कन्या पूजन कब करना है। जिन लोगों का यहां महा अष्टमी पूजा होता है उन्हें कन्या पूजन 11 अक्टूबर शुक्रवार के दिन करना होगा और जिन लोगों को नवमी तिथि का पूजन करना है वह 12 अक्टूबर शनिवार को सुबह 10 बजकर 59 मिनट से पहले कन्या पूजन कर लें। क्योंकि, इसके बाद दशमी तिथि आरंभ हो जाएगी।


Navratri 2024 : महा अष्टमी का महत्व-
नवरात्रि में आने वाली अष्टमी को महाअष्टमी कहा जाता है। इसे महानिशा की रात भी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूप से पूजा की जाती है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति कन्या पूजन करता है उसके घर में सुख समृद्धि का वास होता है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। महाअष्टमी पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां महागौरी को अन्नपूर्णा का स्वरुप माना जाता है। इसलिए इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।


Navratri 2024 : महा नवमी का महत्व-
महानवमी पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सिद्धिदात्री की पूजा से व्यक्ति को सारी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति रोग मुक्ति और भय मुक्त हो जाता है। महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को व्रत का फल देती हैं। इसलिए महानवमी का महत्व सबसे अधिक माना जाता है।

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