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Naraka Chaturdashi: नरक चतुर्दशी आज, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और क्या करें-क्या न करें

Naraka Chaturdashi

Naraka Chaturdashi: धर्म डेस्क: दीपावली के पांच दिवसीय महापर्व का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के नाम से जाना जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध कर देवताओं और ऋषियों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। इसी कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है।


इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, भगवान शिव, माता काली, भगवान हनुमान और यमराज की पूजा करने का विशेष विधान है। कहा जाता है कि यमराज के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है, वहीं अभ्यंग स्नान करने से शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं तथा रूप में निखार आता है।




-Naraka Chaturdashi: नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

-द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1:51 बजे से आरंभ होकर 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी।

-पूजा का शुभ मुहूर्त 19 अक्टूबर की शाम 5:50 बजे से 7:02 बजे तक का रहेगा। इस दिन शाम को यम का दीपक निकाला जाएगा, जबकि अभ्यंग स्नान 20 अक्टूबर की सुबह किया जाएगा।




-Naraka Chaturdashi: पूजा विधि

-नरक चतुर्दशी की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तिल या सरसों के तेल से शरीर की मालिश कर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और तिल के तेल का दीपक जलाकर घर के आंगन, दरवाजे या तुलसी के पास रखें।

-भगवान श्रीकृष्ण, माता लक्ष्मी और यमराज की पूजा करें। उन्हें फूल, मिठाई और दीप अर्पित करें। शाम को घर के हर कोने में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही गरीबों को दीप, वस्त्र, भोजन या अनाज का दान करना अत्यंत फलदायी होता है।




-Naraka Chaturdashi: नरक चतुर्दशी पर क्या करें

-सूर्योदय से पूर्व तेल स्नान करें, इससे लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।

-घर और विशेष रूप से मंदिर की सफाई करें तथा माता काली की पूजा करें।

-चौदह दीपक जलाएं और उन्हें घर के अलग-अलग स्थानों पर रखें।

-यमराज के नाम का दीपक जलाएं, जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

-भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।




-Naraka Chaturdashi: नरक चतुर्दशी पर क्या न करें

-तामसिक भोजन, मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है।

-इस दिन बाल या नाखून नहीं काटने चाहिए।

-घर की दक्षिण दिशा को गंदा न करें और किसी भी जीव को परेशान न करें।

-घर में दिन में सोना या किसी को दान देना अशुभ माना गया है, ऐसा करने से माता लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकती हैं।




नरक चतुर्दशी का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, इस पावन दिन पर किए गए शुभ कर्म आने वाले वर्ष को मंगलमय बना देते हैं। यह दिन शुद्धता, प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक है। इसलिए इस दिन क्रोध, झगड़ा, कटु वचन या नकारात्मक विचारों से दूर रहें। मांसाहार, मद्यपान और तामसिक भोजन से परहेज़ करें। झूठ बोलना या किसी का अपमान करना इस दिन पाप माना गया है।

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