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बारिश में जान का खतरा बन रहे भोपाल शहर के जर्जर मकान

जर्जर मकान

निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी की माने तो निगम ने भी जर्जर भवनों को तोड़ने के प्रयास किए। लेकिन मकान मालिक या किरायदारा कोर्ट चले गए।

भोपाल : राजधानी भोपाल में तेज बारिश का सिलसिला जारी है। शहर में निरंतर हो रही बारिश से पुराने जर्जर मकानों में नमी आने लगी है जिससे हादसों का खतरा बन रहा है। नगर निगम के आंकड़ों की मानो तो करीब 1200 मकान को चिन्हित किया गया है जो कभी भी मौत का कारण बन सकते हैं। 
निगम इन जर्जर मकान के मालिको को दो महीने पहले नोटिस दे चुका है। लेकिन एक भी मकान मालिक ने जर्जर मकान खाली किया न खुद तोड़ने के लिए आगे आए। अब ऐसी स्थिति में कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी की माने तो निगम ने भी जर्जर भवनों को तोड़ने के प्रयास किए। लेकिन मकान मालिक या किरायदारा कोर्ट चले गए। इसलिए कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। दरअसल राजधानी में 1200 से अधिक जर्जर भवनों को नगर निगम हर साल चिंहित करते हुए उसमें रहने वाले परिवारों को नोटिस दे रहा है। यह रस्म अदायगी करीब 7 सालों से चल रही है। लेकिन हादसे के बाद ही जर्जर भवन को तोड़ा जाता है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। ज्यादातर पुराने शहर में जर्जर भवन हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐशबाग में हाउसिंग बोर्ड के जर्जर मकान हैं। अवैध कब्जे, सालों पुरानी किरायदारी के चक्कर में यह मकान खाली नहीं हो रहे।

इसलिए निगम भी कार्रवाई से परहेज कर रहा है। आलम यह है कि शहर के जर्जर भवनों में बारिश में छतों से पानी टपक रहा है तो कहीं छज्जे गिर रहे हैं। जिससे लोग चोटिल हो रहे हैं। बावजूद इसके नगर निगम प्रशासन जर्जर मकानों को खाली कराकर तोड़ने की कार्रवाई नहीं कर रहा। पुराने शहर में स्थिति ज्यादा खराब है। ऐसे में कभी भी इमारतें ढह सकती हैं। शहर की धरोहर शौकत महल सहित कई पुरानी इमारतों के छज्जे हर साल गिर रहे हैं। बता दे की अभी प्रदेश के रीवा में दीवार गिरने से चार स्कूली बच्चों की मौत हुई थी वही सागर के शाहपुर में भी आज पुराने मकान की कच्ची दीवार गिरने से हुए हादसे में नौ बच्चों की मौत हो गई हैं। अगर समय रहते नगर निगम ने भोपाल के जर्जर मकानों की सुध नहीं ली तो यहां भी बड़ा हादसा हो सकता है।

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