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Sheetla Ashtami 2025 : शीतला अष्टमी पर बासी भोजन का रहस्य, आइए जानें धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक महत्व...


- Rohit banchhor
- 17 Mar, 2025
इस बार 22 मार्च को जब आप यह व्रत रखें, तो इस परंपरा के पीछे छुपे गहरे अर्थ को भी जरूर समझें।
Sheetla Ashtami 2025 : डेस्क न्यूज। हर साल मार्च या अप्रैल में मनाई जाने वाली शीतला अष्टमी इस बार 22 मार्च 2025, शनिवार को पड़ रही है। इसे बसौड़ा या बसियौरा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मां शीतला को समर्पित है, जिनकी पूजा से रोग-दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन माता को बासी भोजन का भोग लगाने और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर इस खास दिन पर बासी भोजन का ही महत्व क्यों है? तो आइए, इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक कारणों को जानते हैं।
Sheetla Ashtami 2025 : बासी भोजन की धार्मिक मान्यता-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला अष्टमी ठंड के मौसम के अंत और गर्मी की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन मां शीतला को बासी भोजन अर्पित करने की परंपरा है, जिसे एक दिन पहले पवित्रता के साथ तैयार किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को निरोगी जीवन का आशीर्वाद देती हैं। साथ ही, यह भोजन प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है और व्रत का पारण भी इसी से किया जाता है। कहते हैं कि मां शीतला की कृपा से संतान सुख और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
Sheetla Ashtami 2025 : वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खास-
वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो बासी भोजन स्वाभाविक रूप से ठंडा होता है। मार्च के अंत में जब मौसम गर्म होने लगता है, यह भोजन शरीर को शीतलता प्रदान करता है और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह परंपरा न केवल आस्था बल्कि स्वास्थ्य से भी जुड़ी है। बासी भोजन का सेवन इस बात का संदेश देता है कि हमें बदलते मौसम में अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए।
Sheetla Ashtami 2025 : एक अनूठी परंपरा का संदेश-
शीतला अष्टमी का यह पर्व हमें धैर्य, संयम और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की सीख देता है। मां शीतला को बासी भोजन चढ़ाने और उसे खाने की प्रथा सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन में शीतलता और सादगी बनाए रखने का प्रतीक भी है। इस बार 22 मार्च को जब आप यह व्रत रखें, तो इस परंपरा के पीछे छुपे गहरे अर्थ को भी जरूर समझें।
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