krishna janmashtami : रात के 12 बजते ही गूंजा जय कन्हैया लाल की, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु

krishna janmashtami : उज्जैन/भोपाल: मध्य प्रदेश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया गया। रात 12 बजे मंदिरों में घंटियों की गूंज, "जय कन्हैया लाल की" के नारे और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष आरती के साथ उत्सव की शुरुआत हुई। प्रदेशभर के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा, जो बाल गोपाल के दर्शन के लिए उमड़े।
krishna janmashtami : उज्जैन में सांदीपनि आश्रम और गोपाल मंदिर में विशेष आयोजन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन के पवित्र सांदीपनि आश्रम और गोपाल मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। सांदीपनि आश्रम, जो भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में प्रसिद्ध है, और गोपाल मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रही, जो बाल गोपाल के दर्शन और आशीर्वाद लेने पहुंचे।
krishna janmashtami : ग्वालियर और भोपाल में भक्ति का उत्साह
ग्वालियर के श्रीकृष्ण मंदिर में भगवान का श्रृंगार 100 करोड़ रुपये की कीमत के आभूषणों से किया गया, जो दर्शन के लिए आए भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। भोपाल के बिड़ला मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने जन्मोत्सव में हिस्सा लिया। रतलाम के बड़ा गोपाल मंदिर में मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें आतिशबाजी ने उत्सव में रंग भरा। प्रदेशभर में मंदिरों और विभिन्न स्थानों पर देर रात तक भजन-कीर्तन का दौर चला।
krishna janmashtami : रायसेन में सीएम ने की विशेष पूजा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रायसेन जिले के महलपुर पाठा में 13वीं शताब्दी के ऐतिहासिक श्री राधा-कृष्ण मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने एक बछड़े को गोद में उठाकर दुलार किया, जिसने सभी का मन मोह लिया। भोपाल में अहीर यादव समाज द्वारा निकाली गई भव्य शोभायात्रा में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान बारिश के बावजूद शामिल हुए। मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में 1000 से अधिक बच्चे श्रीकृष्ण और राधा की वेशभूषा में शामिल हुए, जिसने उत्सव को और भी यादगार बना दिया।
krishna janmashtami : घर-घर में जन्माष्टमी की धूम
प्रदेशभर में लोगों ने अपने घरों में भी जन्माष्टमी का पर्व उत्साह के साथ मनाया। छोटे बच्चों को बाल गोपाल और राधा के रूप में सजाया गया। मंदिरों के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर मटकी फोड़ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जिसने जन्माष्टमी के उत्सव को और भव्य बना दिया।