International Tiger Day : शेर को जंगल का राजा कहा जाता है, हर साल 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनियाभर में बचे हुए बाघों को बचाना है। यह अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का 12वां साल है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की स्थापना 2010 में रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में की गई थी। जिसमे की बाघ-आबादी वाले देशों की सरकारों ने 2020 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का संकल्प लिया।
आज दुनियाभर में करीब साढ़े चार हजार बाघ जिंदा हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी इनकी संख्या लाखों में हुआ करती थी लेकिन धीरे-धीरे इनका कुनबा घटता गया और आज विश्व में सिर्फ 4 से 5 प्रतिशत ही बाघ बचे हैं। यानी 21वीं सदी आते-आते बाघों की संख्या में 95 प्रतिशत तक की कमी आ गई। अब सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं, जहां बाघ पाए जाते हैं। इनमें भारत, नेपाल, चीन, बांग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया कंबोडिया, रूस, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, वियतनाम और थाईलैंड है।
अब विश्व में सिर्फ इतने ही बाघ जीवित
12 साल पहले 2010 जब रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिटि में पहली बार वर्ल्ड टाइगर डे को मान्यता मिली तब एक रिपोर्ट के मुताबिक पता चला था कि 97 प्रतिशत बाघ दुनिया से गायब हो चुके हैं। उस वक्त दुनियाभर में सिर्फ 3,900 बाघ ही जिंदा बचे थे। इसके बाद इन्हें बचाने का अभियान शुरू हुआ और 2022 आते-आते बाघों की संख्या करीब साढ़े चार हजार के आसपास पहुंच गई। अकेले भारत में ही 2,967 बाघ बताए जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में 3200 बाघ थे, जो 2022 में 4500 पहुंच गई है। इनमें ह्वाइट टाइगर, गोल्डन टाइगर, काली धारियों वाला सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ शामिल हैं।
बाघों के बारे में 5 तथ्य जो आपके होश उड़ा देंगे
· एक बाघ की दहाड़ प्रभावशाली रूप से तेज होती है-एक बाघ की दहाड़ दो मील दूर से सुनी जा सकती है।
· वे काफी तेज भी हैं-बाघ 40 मील प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ सकते हैं।
· टाइगर को दुनिया की सबसे बड़ी बिल्ली कहा जाता है- औसत बाघ का वजन 800.278 पाउंड होता है।
· शिकार सीखने में थोड़ा समय लेता है- एक शावक दो या तीन साल का होने के बाद ही अपना शिकार कर सकता है।
· भारत में बाघों की सबसे बड़ी आबादी है- दुनिया के जंगली बाघों की 70% आबादी भारत में है।
विलुप्त होती प्रजातियां
बाघों की संख्या में कमी के कई कारण हैं, इनमें जंगलों की अंधाधुंध कटाई, अवैध शिकार, जंगल कम बचे होने के चलते रिहायशी इलाकों में जाने से मारे जाने, ग्लोबल वार्मिंग जैसे कई कारण हैं। इन्हीं का नतीजा है कि आज दुनिया में बाघों की कई प्रजातियां वितुप्त हो गई हैं। इनमें टाइगर हाइब्रिड, कैस्पियन टाइगर, बाली टाइगर और जावन टाइगर शामिल हैं।