सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है और मान सम्मान में वृद्धि होती है। इसके अलावा यदि किसी कारण विवाह में देर हो रही है, तो नियमित सूर्य को जल देने से शीघ्र ही अच्छे रिश्ते आते हैं। लेकिन सूर्य को जल देते वक्त कई बातों का ध्यान रखाना चाहिए। ऐसे कई लोग है जो सूर्य देवता को जल तो चढ़ाते है, लेकिन उन्हें इसका सही तरीका पता नही होता है। लिहाजा उन्हें इसका लाभ की जगह नुकसान हो जाता है। यहां आप ऐसी ही कुछ बातों के बारे में जानेंगे ताकि आप सही तरह से जल चढ़ा सकें और लाभ उठा सकें।
सूर्य को जल अर्पित करने की विधि
सूर्य देव को हमेशा तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करना चाहिए। एक बात का ध्यान रखें कि सूर्य को जल प्रातः काल यानी सूर्योदय के समय ही चढ़ाएं। सुबह के समय जल अर्पित करना फायदेमंद माना जाता है। सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। जल में रोली या फिर लाल चंदन का प्रयोग करें। इसके अलावा लाल फूल भी सूर्य देव को अर्पित करना शुभ माना जाता है। सूर्य को जल चढ़ाने के बाद उन्हें नमस्कार करें तथा गायत्री मंत्र का 11 या 21 बार जप करें। इस तरह जल चढ़ाने से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और वह जीवन में सफलता, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त करता है।
जल चढ़ाते समय भूल कर भी न करें ये गलतियां
कभी भी बिना धुले कपड़े पहन कर जल न चढ़ाएं। यदि ऐसा नहीं हो सकता तो टॉवल लपेट कर ही अर्ध्य देना उपयुक्त रहेगा।
अर्ध्य देते समय जो जल भूमि पर गिरता है, वह किसी साफ-सुथरे स्थान पर जाना चाहिए। यदि सूर्य को चढ़ाया गया पानी गिर कर गंदे स्थान पर जाता है तो इससे दोष लगता है और सौभाग्य भी दुर्भाग्य में बदल जाता है।
उसके छींटे पैरों में नहीं लगने चाहिए। ऐसा करना भी एक तरह का दोष है। अतः पानी चढ़ाते समय इस तरह खड़े होना चाहिए कि पानी के छींटे बिल्कुल भी पैरों में न लगें बल्कि किसी स्वच्छ स्थान पर बह कर चला जाएं।