संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन युद्ध पर दो प्रस्ताव पारित: यूरोपीय देशों ने अमेरिकी मसौदे में संशोधन किया, भारत, चीन, यूएई ने मतदान से दूरी बनाई

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सोमवार को यूक्रेन युद्ध को लेकर दो प्रस्तावों को मंजूरी दी। पहला प्रस्ताव, जिसमें रूस से यूक्रेन से वापसी और युद्ध की निंदा की मांग की गई, यूरोप के समर्थन से 93 मतों से पारित हुआ, जबकि 18 देशों ने विरोध और 65 ने मतदान से परहेज किया।
अमेरिका ने अपनी लंबे समय की विदेश नीति से हटकर रूस, इजरायल, उत्तर कोरिया और 14 अन्य मॉस्को-समर्थित देशों के साथ मिलकर इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया। यह पहली बार था जब यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका ने रूस के साथ मतदान किया।
भारत, चीन, यूएई, अर्जेंटीना और ईरान सहित कई देशों ने वोटिंग से दूरी बनाई। प्रस्ताव में रूस की आक्रामकता की कड़ी आलोचना की गई और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता पर जोर देते हुए कहा गया कि "रूसी संघ द्वारा यूक्रेन पर तीन साल से जारी पूर्ण पैमाने पर आक्रमण से न केवल यूक्रेन, बल्कि अन्य क्षेत्रों और वैश्विक स्थिरता पर विनाशकारी और लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव पड़ रहे हैं।"
इसमें तनाव कम करने, शत्रुता को जल्द खत्म करने और शांतिपूर्ण समाधान की अपील की गई। दूसरी ओर, अमेरिका ने अपने मसौदे पर वोटिंग से परहेज किया, जिसे फ्रांस के नेतृत्व में यूरोपीय देशों ने संशोधित किया था। संशोधन में रूस को आक्रामक के रूप में स्पष्ट किया गया और यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए संयुक्त राष्ट्र के समर्थन को दोहराया गया। यह संशोधित प्रस्ताव भी 93 मतों से पारित हुआ, जिसमें 73 देशों ने मतदान नहीं किया और आठ ने विरोध किया।
रूस ने अमेरिकी मसौदे में संघर्ष के "मूल कारणों" का उल्लेख जोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रहा। हालांकि, इस बार यूक्रेन के समर्थन में पिछले मतदानों की तुलना में कमी दिखी। पहले 140 से अधिक देशों ने रूस की निंदा की थी, लेकिन इस बार समर्थन 93 तक सिमट गया। सुरक्षा परिषद में, जहां प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं, अमेरिका ने अपने मूल मसौदे पर वोट कराया, जिसे रूस ने वीटो कर दिया।
यह घटनाक्रम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के यूक्रेन युद्ध पर नए रुख और उनके व यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ।