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ट्रंप ने BRICS को दी चेतावनी, अमेरिकी डॉलर छोड़ने पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी


वॉशिंगटन, डी.सी. – अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों को चेतावनी दी है, कि अगर उन्होंने अमेरिकी डॉलर को बदलने की दिशा में कोई कदम उठाया, तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इस संबंध में पोस्ट कर डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को बनाए रखने के प्रति अपना सख्त रुख दोहराया।
BRICS की नई मुद्रा पहल के खिलाफ ट्रंप का कड़ा रुख
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब BRICS देश—ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका, साथ ही हाल ही में शामिल हुए मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया—अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक नई मुद्रा बनाने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।
हालांकि, BRICS के पास फिलहाल कोई साझा मुद्रा नहीं है, लेकिन रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद इस विचार को अधिक समर्थन मिल रहा है। ट्रंप ने साफ कहा कि अमेरिकी डॉलर को हटाने का कोई भी प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
"हमें इन देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो कोई नई BRICS मुद्रा बनाएंगे और न ही किसी अन्य मुद्रा को अमेरिकी डॉलर की जगह अपनाएंगे, वरना उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना होगा," ट्रंप ने चेतावनी दी।
उन्होंने आगे कहा, "ये देश कोई और बेवकूफ राष्ट्र ढूंढ सकते हैं। BRICS का अमेरिकी डॉलर को वैश्विक व्यापार में प्रतिस्थापित करने का कोई मौका नहीं है, और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और अमेरिका से अलविदा कहना होगा!"
अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाने के लिए टैरिफ रणनीति
ट्रंप की यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब वह 1 फरवरी से कनाडा और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने के निर्णय पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने इन टैरिफ को अवैध आप्रवासन और अमेरिका में घातक फेंटानाइल ड्रग्स के प्रवेश को रोकने के लिए एक साधन बताया है। अब, BRICS देशों को भी इसी तरह की आर्थिक रणनीति के जरिए अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने से रोकने की धमकी दी जा रही है।
अमेरिकी डॉलर का वैश्विक दबदबा कायम
BRICS द्वारा वैकल्पिक मुद्रा की खोज के बावजूद, अमेरिकी डॉलर अभी भी वैश्विक आरक्षित मुद्रा बना हुआ है। अटलांटिक काउंसिल के जियोइकोनॉमिक्स सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरो और BRICS देशों की मुद्राएं अभी भी डॉलर के प्रभुत्व को कमजोर करने में असमर्थ हैं।
BRICS समूह की स्थापना 2009 में पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाली वित्तीय प्रणाली को चुनौती देने के लिए एक अनौपचारिक मंच के रूप में की गई थी। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद यह BRICS बना, और हाल ही में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया इस समूह का हिस्सा बने हैं।
क्या फिर शुरू होगा व्यापार युद्ध?
ट्रंप की यह धमकी ऐसे समय आई है जब चीन और रूस बहु-ध्रुवीय वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। हालांकि, BRICS के सदस्यों ने औपचारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन रूस पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अमेरिका द्वारा जबरदस्ती डॉलर के उपयोग को बाध्य करना उसके खिलाफ ही जाएगा। जैसे-जैसे ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान की तैयारी कर रहे हैं, उनका आक्रामक रुख, व्यापारिक रणनीतियां और वैश्विक आर्थिक नियंत्रण बनाए रखने की कोशिशें आने वाले महीनों में एक प्रमुख बहस का मुद्दा बन सकती हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में नए तनाव पैदा हो सकते हैं।
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