एमपी में अफसरों की लापरवाही से जा रही बाघों की जान: CWC
- Ved Bhoi
- 22 Aug, 2024
बाघों के संरक्षण और सुरक्षा की जिमेदारी के लिए गठित वन विभाग की वन्यप्राणी विंग के मुखिया चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन (सीडब्ल्यूसी) शुभरंजन सेन ने स्वीकारा है
भोपाल। प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और उससे जुड़े शहडोल वन क्षेत्र में बाघों की मौत के मामले की जांच में एसआइटी द्वारा उठाए जाने वाले सवालों के जवाबों में मध्य प्रदेश का वन अमला घिर गया है। बाघों के संरक्षण और सुरक्षा की जिमेदारी के लिए गठित वन विभाग की वन्यप्राणी विंग के मुखिया चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन (सीडब्ल्यूसी) शुभरंजन सेन ने स्वीकारा है, अधिकारियों की लापरवाही और बाघ संरक्षण में अनदेखी की वजह से बाघों की मौत के मामले बढ़े हैं। असल में बाघों की मौत से जुड़ी एक रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने मप्र के वाइल्डलाइफ वार्डन से बांधवगढ़ और उसके आसपास के जंगल में 2021 से 2023 के बीच हुई बाघों की मौत के बारे में सिलसिलेवार जानकारी पूछी थी।
जवाब में सीडब्ल्यूसी ने एनटीसीए को प्रदेश के उन अफसरों की लापरवाही की बात कही है, जो पिछले वर्षों में बीटीआर जिमेदार पदों पर रह चुके हैं। जवाब में यह भी बताया है, उन अधिकारियों को नोटिस देकर उनका जवाब मांगा जा रहा है, इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। मामले में गठित एसआइटी ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और शहडोल फॉरेस्ट सर्किल अंतर्गत साल 2021 और 2023 के दौरान 43 बाघों की मौत की बात बताई थी। एसआइटी ने अपनी रिपार्ट में कहा था, वन अधिकारियों की धीमी जांच, शिकार को रोकने में उदासीनता, पोस्टमार्टम की प्र₹िया में गड़बड़ी और चिकित्सा में लापरवाही के कारण बाघों की मौत बढ़ी है। एनटीसीए ने वन विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था।
इस पर वन जीव विभाग के प्रधान मुय संरक्षक शुभरंजन सेन ने एनटीसीए को लिखे पत्र में सीडब्ल्यूसी ने बीटीआर में 34 और शहडोल फॉरेस्ट सर्किल में उसी अवधि में नौ बाघों के मारे जाने की पुष्टि की है। एक अन्य रिपोर्ट में सेन ने लिखा, जांच रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 30 बाघों की मौत उस दौरान पदस्थापित क्षेत्रीय निदेशकों के कार्यकाल के दौरान हुई और यह भी पाया गया कि इन अधिकारियों ने एनटीसीए के एसओपी का पूरी तरह से पालन नहीं किया।