अधिकारियों के सह पर नगर में बेजा कब्जा की भरमार
गौरी शंकर गुप्ता/ घरघोड़ा -घरघोड़ा नगर कमी अपनी सर्वोत्तम वसाहट के लिए क्षेत्र में अलग अलग पहचान रखता था। लेकिन राज्य विभाजन के उपरांत ग्राम पंचायत से नगर पालिका तथा नगर पालिका से नगर पंचायत में तब्दील होने के पश्चात सड़कों के किनारे रफ्तार से हो रही है अवैध कब्जे ने नगर की थोड़ी बहुत सौंदर्य पर कालिख पोत रखा है जिससे आम आदमी का इस मार्ग पर चलना दुश्वार हो गया है वहीं इन कब्जादारो को नगर पंचायत से मिले छुट ने सवालिया निशान खड़ा कर दिया है यहां तक की सड़कों के किनारे कब्जा करने वाले लोगों का कहना है कि हम तो दुकान लगाने का पैसा देते हैं नगर पंचायत क्षेत्र की प्रमुख सड़कें इन दिनों जिला व राज्य की बाहर से आकर व्यवसाय की राह में अपनी धाक जमाने वालों के द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण के कारण आम आदमी के लिए चलने के लायक शेष नहीं बची है।
तहसीलदार एसडीएम एवं वन विभाग के अधिकारियों के नाक के नीचे कब्जा धारियों का अधिक बोलबाला है। इस कारण जय स्तंभ चौक से लेलूंगा धरमजयगढ़ रायगढ़ छाल मार्ग की और यातायात में काफी दबाव होता है वही इन्हीं मार्गों के सड़कों के दोनों ओर से अस्थाई तौर पर प्रदेश से दिगर प्रांत से संरक्षण एवं नगर पंचायत से सांठगांठ कर इस व्यस्ततम मार्गों पर सड़कों तक कब्जा किया गया है।
यही नहीं कब्जा धारी कितने प्रभावशाली है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह सीना तान कर कहते हैं कि जिसको जो करना है करो हम तो दुकान लगाने का पैसा देते हैं विकी से पैसा देते हैं बताने को तैयार नहीं है पर प्रशासन इसकी जांच करनी चाहिए आखिर उससे पैसा वसूल करने वाला सफेदपोश कौन है वही इन मार्गों पर लोगों द्वारा अपनी वाहनों को बेतरतीब खड़ा करने के कारण लोगों का चलना भी मुश्किल हो रहा है