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Special Story: नोटबंदी से Profit या Loss? नोटों के इस गणित का पॉइंट 2 पॉइंट समझें पूरा इतिहास!

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भीष्म सिंह परिहार/रायपुर: 8 नवम्बर 2016 की रात 8 बजे का वो वक्त शायद ही कोई देशवासी भूल सके। ये तारीख देश के इतिहास का वो दिन है, जिसने सबकी नींद उड़ाकर रख दी थी. इस दिन प्रधानमंत्री के एक सम्बोधन ने पूरे देशवासियों को रातों-रात सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया था. तो चलिए इतिहास के उस दिन और फैसले को थोड़ा विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं.

दरअसल, इस दिन Prime Minister Narendra Modi ने देश को संबोधित किया और रात 12 बजे 500-1000 की करेंसी को डिमोनेटाइज़ यानी प्रचलन से बाहर कर दिया. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद करेंसी के सबसे अधिक वैल्‍यू के नोट 500-1000 को बंद कर नए नोट जारी किए गए थे. हालांकि यह पहला मौका नहीं था जब पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर कर नए नोट जारी किए गए हों. देश में इससे पहले भी डिमोनेटाइज़ेशन का फैसला लिया जा चुका है.

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ऐसे में अब लोगों के मन में ये भी सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर नोटबंदी के इतने सालों बाद फिर से ये मामला क्यों तूल पकड़ रहा है. तो इसका जवाब है बीते दिन सामने आया सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस फ़ैसले को सही ठहराकर विरोधियों की बोलती बंद कर दी है। देश की अलग-अलग अदालतों में नोटबंदी के खिलाफ 58 याचिकाएँ दायर की गई थीं।

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि सरकार किसी ख़ास सीरीज़ के नोटों को तो बंद कर सकती है लेकिन इस तरह पाँच सौ और हज़ार के नोटों को पूरी तरह बंद करने का उसे अधिकार ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इन तमाम याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया और नोटबंदी के सरकार के फ़ैसले को एक के मुक़ाबले चार मतों से सही ठहराया।

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वहीँ, पाँच में से जो एक महिला जज इस फ़ैसले से सहमत नहीं थी उनका कहना था कि नोटबंदी अध्यादेश के ज़रिए नहीं, बल्कि संसद में विधेयक लाकर करनी थी। तब यह क़ानून सम्मत होती। इस तर्क के बारे में कहा जा सकता है कि यह ठीक नहीं है क्योंकि संसद में बहस होती तो बात लीक हो ही जाती और फिर जिस उद्देश्य से नोटबंदी की गई उसका कोई मतलब नहीं रह जाता।

हालाँकि असहमत महिला जज ने यह भी कहा कि उद्देश्य पूरा भी कहाँ हुआ? अगर कालेधन को ख़त्म करने के लिए ही नोटबंदी की गई थी, तो आपने तो पाँच सौ और हज़ार के नोट बंद करके दो हज़ार का नोट जारी कर दिया। काला धन कहाँ सामने आया?

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बाक़ी चार जजों का तर्क था कि रिज़र्व बैंक की गवर्निंग बॉडी अगर सिफ़ारिश करे तो सरकार नोटबंदी कर सकती है। यह प्रक्रिया सरकार ने पूरी तरह अपनाई है, इसलिए नोटबंदी ग़ैर क़ानूनी नहीं है। इन चार जजों ने भी यह ज़रूर कहा कि उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं, इस पर हम नहीं जाना चाहते क्योंकि यह याचिकाओं का विषय नहीं है।

कुल मिलाकर यह सवाल तो बना हुआ है ही, कि जब काला धन ख़त्म या कम करना ही उद्देश्य था तो पाँच सौ और हज़ार के नोट बंद करके दो हज़ार का नोट क्यों जारी किया गया? क्योंकि काला धन ख़त्म करने के लिए बड़े नोट बंद करने होते हैं ताकि ज़्यादा मात्रा में संग्रह न किया जा सके। यहाँ तो उल्टे छोटे नोट बंद करके बड़ा नोट जारी किया गया।