6 साल में भी नहीं बन पाया स्कूल, जर्जर भवन में बच्चे पढ़ने को मजबूर
भोपाल। शहर से लगे बकानिया शासकीय हाईस्कूल की नई बिल्डिंग का निर्माण छह साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन पूरा नहीं हो सका है। पीआईयू विभाग ने 2019 में रिवाइज दिया, जिसको मंजूरी 2024 में मिली, वह भी आपत्ति के साथ। ठेकेदार ने तीन साल बाद काम करने से मना कर दिया है। बारिश के दिनों में विद्यार्थी पुराने जर्जर भवन में पढ़ने का मजबूर हैं। ग्राम बकानिया में पीआईयू विभाग ने साल 2018 में हाई स्कूल बिल्डिंग का निर्माण शुरू किया गया था जो कि अभी 2024 तक उसका कार्य अधूरा पड़ा है। पीआईयू द्वारा वर्ष 2019 में रिवाइज दिया गया था, जिसकी स्वीकृति 2024 में 4 साल बाद आई और उसमें भी आपत्ति लगा दी गई। ठेकेदार द्वारा तीन साल बाद काम करने के लिए मना कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए फिर से पुनरीक्षित प्राक्कलन मांगा गया है।
क्षमता से ज्यादा बच्चों को बैठाते हैं
विद्यालय के मौजूदा हालातों की बात करें तो अधूरा निर्माण कार्य होने से जर्जर पुरानी बिल्डिंग में छात्र मजबूर है। छोटे से कमरों में क्षमता से अधिक विद्यार्थी बिठाए जा रहे हैं। बारिश में मुश्किल हालातों के बीच पढ़ाई हो रही है। अधूरे भवन को लेकर ग्राम वासियों ने नाराजगी है।
अधिकारी निरीक्षण करें
सरपंच ने कहा है कि चार वर्ष बीत जाने के बाद भवन में अन्य और भी मरम्मत या संधारण के कार्य आवश्यक है, उन्हें भी आगे कार्य में समिलित कर राशि दी जानी चाहिए। शिक्षा विभाग को अपने अधिकारियों का निरीक्षण कर शेष राशि का आकलन करना चाहिए। लाइट फिटिंग कलर, विद्युत व्यवस्था एवं अन्य निर्माण कार्य शेष है एवं नवीन स्कूल बिल्डिंग के आसपास बाउंड्री वाल और शाला भवन तक पहुंचने के लिए मार्ग भी नहीं है।
मुख्यमंत्री से आग्रह
मामले को बाकनिया की सरपंच अनिता जितेन्द्र नागर ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने उठाया है। शिक्षा विभाग से चार साल बाद पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति जारी करने का कारण मांगा जाना चाहिए। यह भी पूछा जाना चाहिए कि इस कार्य को अब तक विलंब में क्यों रखा गया? पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दिलाने की मांग की गई।