PFI network: पीएफआई के नेटवर्क पर बड़ा खुलासा, चंदा वसूलकर देश में आतंकवाद को बढ़ावा, दुनिया भर में 13 हजार सदस्य, पढ़िए ED का खुलासा
- Sanjay Sahu
- 21 Oct, 2024
PFI network: पीएफआई के नेटवर्क पर बड़ा खुलासा, चंदा वसूलकर देश में आतंकवाद को बढ़ावा, दुनिया भर में 13 हजार सदस्य, पढ़िए ED का खुलासा
PFI network: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के व्यापक नेटवर्क और वित्तीय स्रोतों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य एजेंसियों की जांच में पता चला है कि इस संगठन की जड़ें भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी फैली हुई हैं। पीएफआई के खिलाफ जांच का सिलसिला दिसंबर 2020 में शुरू हुआ, जब ईडी ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव केए रऊफ शेरिफ को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से पीएफआई के नेटवर्क के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं।
PFI network: चार साल की जांच के बाद तैयार किए गए ईडी के डोजियर में बताया गया है कि पीएफआई के सदस्य भारत के केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू कश्मीर और मणिपुर में सक्रिय हैं। ईडी के अनुसार, जुलाई 2022 में पीएम मोदी पर हमले का असफल प्रयास किया गया था, जिसके बाद पीएफआई पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया।
PFI network: सूत्रों के अनुसार, संगठन सिंगापुर और पांच खाड़ी देशों में कम से कम 13,000 सदस्यों के साथ सक्रिय है, जहां से धन हवाला के जरिए भारत भेजा जाता है। ये पैसे 29 ट्रस्टों और संबद्ध संस्थाओं के बैंक खातों में जमा किए गए हैं। ईडी ने अब तक पीएफआई के 26 शीर्ष पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है और उनकी संपत्तियों को सीज किया है।
PFI network: ईडी के अनुसार, पीएफआई ने दिल्ली दंगों और हाथरस में हिंसा फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल के खुलासों में केरल के कन्नूर जिले में एक हथियार प्रशिक्षण शिविर का पता चला है, जहां पीएफआई के सदस्यों को विस्फोटकों और हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी जा रही थी। एजेंसी के मुताबिक, पीएफआई ने अब तक 94 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई है और 57 करोड़ रुपये की 35 संपत्तियों को आपराधिक आय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
PFI network: ईडी का कहना है कि पीएफआई का असली उद्देश्य भारत में इस्लामी आंदोलन को जिहाद के माध्यम से आगे बढ़ाना है, जबकि संगठन खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता है। यह खाड़ी देशों में रहने वाले प्रवासी मुस्लिमों के लिए जिला कार्यकारी समितियां भी स्थापित कर चुका है।