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गैस कांड के उचित मुआवजे के लिए आज भी संघर्ष कर रहे संगठन,पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर याद दिलाया वादा

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गैस कांड के उचित मुआवजे के लिए आज भी संघर्ष कर रहे संगठन,पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर याद दिलाया वादा

भोपाल। राजधानी भोपाल में हुई दुनिया की सबसे बड़ी गैस त्रासदी को तीन दशक से अधिक का समय हो गया है। लेकिन भोपाल के लोग आज भी त्रासदी का दंश झेलने को मजबूर हैं। गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले शहर के पांच संगठनों ने संयुक्त रूप से फिर उचित मुआवजा देने की मांग की है। संगठनों ने अपने 13 साल लंबे संयुक्त अभियान को फिर से शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा कि हालही में उन्होंने मांगो को लेकर प्रधानमंत्री और रसायन एवं उर्वरक मंत्री को पत्र लिखा है।


जिसमे मांग की गई है कि भोपाल गैस पीड़ितों को अपर्याप्त मुआवज़ा दिए जाने के संबंध में पिछले साल अटॉर्नी जनरल द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए तर्कों का पालन किया जाएं। साथ ही उन्हें याद दिलाया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष रूप से भारत सरकार को मुआवज़े में कमी को पूरा करने का निर्देश दिया है।"भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव के अनुसार, "भोपाल गैस पीड़ितों के साथ अन्याय होने का सबसे बड़ा सबूत यह है कि कल्याण आयुक्त कार्यालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कैंसर और किडनी की बीमारियों से पीड़ित 13,133 भोपाल बचे लोगों में से 90% को मूल रूप से "अस्थायी क्षति" श्रेणी में रखा गया था और उन्हें मुआवजे के रूप में केवल 25,000 रुपये का भुगतान किया गया था।



 "केंद्र और राज्य सरकार के अस्पतालों के रिकॉर्ड बताते हैं कि इसी जिले में अपीड़ित आबादी की तुलना में गैस पीड़ितों की कोविड 19 महामारी के कारण 2.7 गुना अधिक दर से मृत्यु हुई। महामारी के प्रति यह बढ़ी हुई संवेदनशीलता भी इस बात का महत्वपूर्ण प्रमाण है कि भोपाल के अधिकांश बचे लोगों को अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी क्षति पहुँची है।" इस विषय पर एक वैज्ञानिक लेख लिखने वाली भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा।



 भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा, "प्रधानमंत्री और रसायन एवं उर्वरक मंत्री को लिखे पत्र में हमने उनका ध्यान राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा 8 दिसंबर 2011 को तत्कालीन प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की ओर दिलाया है। इस पत्र में शिवराज जी ने भोपाल में यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैस की चपेट में आए हर व्यक्ति के लिए 5 लाख रुपए मुआवजे की मांग की थी। अगर भोपाल गैस पीड़ितों की बात नहीं मानी जाती तो शायद वे शिवराज जी की बात मान लें जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी हैं।



यह वास्तव में दुखद है कि भोपाल गैस पीड़ितों को उचित मुआवजा, जो उनका कानूनी और संवैधानिक अधिकार है, पाने के लिए 13 साल से संघर्ष करना पड़ रहा है । यूनियन कार्बाइड के दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि मिथाइल आइसोसाइनेट के संपर्क में आने से तत्काल उपचार के बावजूद भी शरीर क्षतिग्रस्त होता है । सरकार द्वारा इसे नजरअंदाज करना विज्ञान और न्याय दोनों के प्रति अंधा होना है। हम शांतिपूर्ण कार्रवाई के जरिए इस स्थिति को बदलने की उम्मीद करते हैं.

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