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One Country, One Election : केंद्र सरकार ने "एक देश, एक चुनाव" बिल को दी मंजूरी, संसद सत्र में पेश होने की संभावना

One Country, One Election

राज्य विधानसभा के स्पीकरों और आम जनता से भी सुझाव लेगी।

One Country, One Election : नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने आज "एक देश, एक चुनाव" बिल को मंजूरी दे दी, जो लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ आयोजित करने के लिए एक अहम कदम है। सरकार का लक्ष्य इस व्यापक बिल को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश करने का है। यह मंजूरी उच्चस्तरीय समिति द्वारा दिए गए सिफारिशों के बाद मिली है, जिसे सितंबर 2023 में गठित किया गया था। इस समिति ने चरणबद्ध तरीके से समान चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया था। इस कदम से चुनावों को अलग-अलग आयोजित करने के कारण होने वाले वित्तीय बोझ और लॉजिस्टिक समस्याओं को कम करने के साथ-साथ चुनाव संबंधी गतिविधियों से सरकार के कामकाज में होने वाली रुकावटों को भी दूर किया जाएगा।


One Country, One Election : बिल का उद्देश्य और महत्व-

 केंद्र सरकार "एक देश, एक चुनाव" के विचार को समर्थन दे रही है, यह तर्क देते हुए कि वर्तमान प्रणाली में अलग-अलग समय पर चुनाव होने से संसाधनों की बर्बादी और सरकार की कार्यक्षमता में कमी आती है। बार-बार चुनावों के कारण मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होता है, जिससे विकास कार्यों में रुकावटें आती हैं। सरकार का मानना है कि समान चुनावों के आयोजन से समय और संसाधनों की बचत होगी और राजनीतिक स्थिरता भी बढ़ेगी। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस बिल को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों से सहमति बनाने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से चर्चा करवाने पर विचार कर रही है, जिसमें विभिन्न दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके अलावा, सरकार इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के लिए बौद्धिकों, राज्य विधानसभा के स्पीकरों और आम जनता से भी सुझाव लेगी।


One Country, One Election : "एक देश, एक चुनाव" का इतिहास-

"एक देश, एक चुनाव" का विचार कई वर्षों से चर्चा में है। इसकी व्यवहारिकता को जांचने के लिए, सरकार ने 2023 में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसका नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे थे। इस समिति का काम लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों को एक साथ कराने के संभावित लाभ और चुनौतियों का विश्लेषण करना था। इस समिति ने राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों से व्यापक रूप से विचार-विमर्श करने के बाद मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। 1952 से 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन 1968-69 में राज्य विधानसभाओं के भंग होने के कारण यह व्यवस्था टूट गई, जिसके बाद अलग-अलग चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गई। अब सरकार का प्रस्ताव है कि सभी स्तरों के चुनाव हर पांच साल में एक साथ आयोजित किए जाएं।


One Country, One Election : शिवराज सिंह चौहान का समर्थन-

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में "एक देश, एक चुनाव" के विचार का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बार-बार होने वाले चुनावों के कारण देश की प्रगति में रुकावट आ रही है। चौहान ने इस पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है, लेकिन लगातार चुनावी तैयारियां और चुनावों से होने वाली रुकावटें एक बड़ा चुनौती हैं। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण हो रहा है, लेकिन एक बड़ी रुकावट है - बार-बार चुनाव। जबकि अन्य कार्य हो रहे हैं या नहीं, चुनावी तैयारियां पूरे साल चलती रहती हैं।"


One Country, One Election : भविष्य में संभावित प्रभाव- "एक देश, एक चुनाव" बिल को मंजूरी मिलना भारत के चुनावी प्रक्रिया को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर इसे लागू किया जाता है, तो यह चुनावी चक्रों को सुव्यवस्थित करेगा, संसाधनों का बेहतर उपयोग करेगा और शासन में सुधार ला सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया की सफलता राजनीतिक दलों और सभी हितधारकों के सहयोग पर निर्भर करेगी, और यह विधेयक संसद में चर्चा और सहमति की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही लागू हो सकेगा। जैसा कि यह बिल संसद में आगे बढ़ेगा, इसे लेकर इसकी व्यवहारिकता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर बहस जारी रहने की संभावना है।

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