उर्दू और संस्कृत को लेकर राजस्थान में नया बवाल, शिक्षा विभाग के आदेश का हो रहा विरोध

राजस्थान के दो सरकारी स्कूलों में उर्दू को संस्कृत से बदलने के आदेश के बाद विवाद खड़ा हो गया है। राज्य शिक्षा विभाग ने जयपुर के महात्मा गांधी सरकारी स्कूल (आरएसी बटालियन) और बीकानेर के एक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को उर्दू को तीसरी भाषा के रूप में समाप्त कर संस्कृत को लागू करने का निर्देश दिया है।
शिक्षा मंत्री जवाहरसिंह बेढम ने आरोप लगाया कि उर्दू शिक्षकों ने फर्जी डिग्रियां हासिल की थीं, जिससे विवाद और बढ़ गया। उर्दू शिक्षकों के संघ ने इन आरोपों को निराधार बताया है। राज्य शिक्षा विभाग के आदेश में कहा गया है, "मंत्री ने संस्कृत शिक्षकों के पदों का निर्माण करने और उर्दू कक्षाओं को समाप्त करने का आदेश दिया है। स्कूलों को संस्कृत को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने होंगे।"
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निदेशक आशीष मोदी ने कहा कि यह निर्णय छात्रों की रुचि के आधार पर लिया गया है। आशीष मोदी ने कहा, "यह कोई सामान्य आदेश नहीं है। बीकानेर के नापासर में एक छात्र को छोड़कर कोई भी उर्दू को तीसरी भाषा के रूप में नहीं पढ़ रहा था, इसलिए इसे समाप्त किया गया।"
हालांकि, कांग्रेस विधायक रफीक खान ने इस दावे का खंडन करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखा। उन्होंने कहा, "स्कूल में वर्तमान में 127 छात्र उर्दू को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ रहे हैं। उर्दू कक्षाओं को बंद करने से उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।" मदान दिलावर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
इसके अलावा, जवाहरसिंह बेढम ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्व राज्य सरकार ने संस्कृत शिक्षकों को हटा कर उर्दू शिक्षकों को नियुक्त किया था। उन्होंने कहा, "अब यहां कोई उर्दू नहीं पढ़ता, इसलिए हम उर्दू शिक्षकों के पदों को समाप्त करेंगे और लोगों की इच्छानुसार शिक्षा प्रदान करेंगे।" उनकी टिप्पणियां सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं और राजस्थान उर्दू शिक्षकों के संघ द्वारा "निराधार" करार दी गईं। संघ के अध्यक्ष अमीन कयामखानी ने कहा, "बिना किसी जांच के उर्दू शिक्षकों को फर्जी कहना सही नहीं है। यह भी गलत है कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने संस्कृत शिक्षकों की जगह उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की।"