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MP NEWS: राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक:रातापानी अभ्यारण को लेकर वन महकमे से नाराज हुए सीएम यादव

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MP NEWS: राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक:रातापानी अभ्यारण को लेकर वन महकमे से नाराज हुए सीएम यादव


MP NEWS: भोपाल। रातापानी अभ्यारण को अभी तक टाइगर रिजर्व घोषित नहीं किए जाने को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव नाराज हो गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के अध्यक्षता में हुई बैठक में रातापानी ही नहीं, माधव राष्ट्रीय उद्यान को भी टाइगर रिजर्व बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। सीएम हाउस पर हुई राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में माधव राष्ट्रीय उद्यान को रिजर्व बनाने की सहमति दी गई। 

MP NEWS: रातापानी को रिजर्व बनाने की सहमति 11 मार्च को हुई बैठक में दी जा चुकी थी। सीएम ने बैठक में अफसरों से कार्यवाही का स्टेटस जाना और देरी पर फटकार लगाई। कहा, जब तय हो गया था तो देरी क्यों की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इस पर एसीएस वन अशोक वर्णवाल की ओर से समय मांगा गया है।


MP NEWS: अभी प्रदेश में सात टाइगर रिजर्व हैं। दो नए रिजर्व के अस्तित्व में आने के बाद नौ हो जाएंगे। रातापानी को इस साल के अंत तक और माधव को अगले वर्ष तक रिजर्व बनाने की कार्यवाही पूरी होगी। इससे बाघों का सुरक्षा घेरा बढ़ेगा। जिन रिजर्व में बाघों की संया ज्यादा है, वहां से इन नए रिजर्वों में शिटिंग की जाएगी। माधव पार्क को रिजर्व बनाने से चीतों का सुरक्षा घेरा भी बढ़ जाएगा।

MP NEWS: एनटीसीए तो 2008 में ही दे चुका है सैद्धांतिक सहमति

MP NEWS: रातापानी अभयारण्य 1983 में अस्तित्व में आया। अधिसूचित क्षेत्रफल 823.065 वर्ग किमी है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने 2008 में रिजर्व बनाने की सैद्धांतिक सहमति दी थी। इसमें बार-बार अड़ंगे लगते रहे। वर्तमान में 55 से ज्यादा बाघ, 10 से ज्यादा युवा बाघ हैं। पिछले 15 वर्ष में 11 तेंदुए और सात से ज्यादा बाघों की मौत रेलवे ट्रैक पार करते समय ट्रेन की चपेट में आने से हुई। बाघों के बढ़ते घनत्व को देख अभयारण्य को रिजर्व क्षेत्र घोषित करने की कवायद की जा रही है। रिजर्व बनने से भोपाल समेत आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

MP NEWS: माधव राष्ट्रीय उद्यान में फिर बसाये जा रहे बाघ

MP NEWS: माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में है। यह 1956 में अस्तित्व में आया। बैठक में तय किया गया कि 37.233 वर्ग किमी वन्य क्षेत्र को कोर क्षेत्र और शिवपुरी के 1275.154 वर्ग किमी क्षेत्र को बफर क्षेत्र में शामिल करते हुए रिजर्व घोषित किया जाएगा। यहां वन्यप्राणी चिंकारा, चिकारे और चीतल की बड़ी संया में हैं। नीलगाय, सांभर, चौसिंगा, कृष्णमृग, स्लोथ रीछ, तेंदुए, लंगूर पाए जाते हैं। यहां से फिर बाघों को बसाया जा रहा है। इसके लिए तीन बाघ छोड़े हैं। हाल ही में एक मादा बाघ ने शावक को जन्म दिया है। यहां दो बाघ और छोड़े जाने हैं।

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