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MP News: भोपाल में यौमे आशूरा पर निकला मातमी जुलूस, युवाओं ने लहराया तिरंगा,या हुसैन या हुसैन की सुनाई दी गूंज

भोपाल में मोहर्रम के अवसर पर परंपरागत मातमी जुलूस में शामिल ताजिये और इस्लामी परचम के निशान, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए और कर्बला की घटना को याद कर मातम मनाया गया।

करीब1400 वर्ष पहले इसी दिन इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत हुसैन को कत्ल किया गया था।

MP News: भोपाल। राजधानी भोपाल में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मोहर्रम का पर्व मनाया जा रहा है। यौमे आशूरा यानि मोहर्रम की दस तारीख के दिन कर्बला के मंजर को याद कर लोग मातमी जुलूसों में अपने बदन को लहूलुहान कर रहे हैं।भोपाल में बुधवार को मोहर्रम पर परम्परागत जुलूस निकाला गया। इस दौरान सैकड़ों ताज़िये, बुर्राक़, सवारियां,इस्लामी परचम के निशानों के साथ शामिल हुई। यह जुलूस शहर के कई इलाकों से होता हुआ वीआईपी रोड स्थित करबला पहुंचा। जुलुस में युवाओं ने तिरंगा लहराया और या हुसैन या हुसैन की गूंज सुनाई दी। इस दौरान इस्लामी वक्ताओं ने कर्बला की जंग के किस्से सुनाएं। गौरतलब है कि हर वर्ष की भांति इस बार भी पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन साहब की शहादत की यादगार मोहर्रम योम-ए-आशुरा पर जुलूस निकाला  गया। 

MP News: जिसमें हजारों लोग शामिल रहे। पहला मातमी जुलूस फतेहगढ़ से शुरू होकर मोती मस्जिद चौराहे होते हुए करबला पहुंचा। इसके अलावा चार अन्य बड़े जुलूस अलग-अलग इलाकों से होते हुए पीर गेट इलाके में आये।मातमी जुलूस की शुरुआत तिरंगा झंडा लहराकर की गई। वैसे तो यह महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता, इस महीने से इस्लाम का नया साल शुरू होता हैं। करीब1400 वर्ष पहले इसी दिन इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत हुसैन को कत्ल किया गया था। इसी घटना की याद में मुस्लिम समाज का एक बहुत बड़ा तबका हर साल मोहर्रम महीने की दस तारीख को गम के साथ मनाता है। इस दिन ताजिए निकालना, मातम मनाना और कर्बला पर इकट्ठा होकर याद ए हुसैन में आंसू बहाए जाते हैं।

किन्नर समुदाय ने भी मनाया ताजिया

MP News: राजधानी भोपाल में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मोहर्रम का पर्व मनाया जा रहा है। भोपाल में नवाबी काल से चली आ रही किन्नरों द्वारा मोहर्रम बनाने की प्रथा आज भी जारी है। भोपाल के किन्नर समुदाय ने नर्मदापुरम से विशेष कारीगर बुलवाकर इस बार भी 16 फीट के ताजिया का निर्माण करवाया है। 16 फीट के ताजिये को लेकर किन्नर समाज ने बताया कि ताजिये बनाने के लिए हम काफी पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं।उन्होंने बताया कि किन्नर समाज बेगमों के दौर से ही ताजिये बना रहा है। 

MP News: उनके ताजियों की भव्यता और कलाकारी पूरे इलाके में प्रसिद्ध है। इसमें खास तौर पर पेपर पर डिजाइन उकेरा जाता है। उसे हाथ से तैयार किया जाता है। इस बार चार मेहराबों वाला ताजिया तैयार किया है। इसे बनाने में करीब दो महीने लगे। बता दें, ताजिये को बनाने में सोने, चांदी, लकड़ी, बांस, स्टील, कपड़े और कागज का प्रयोग किया जाता है।

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