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छत्तीसगढ़ के रतनपुर में है मां महामाया का दिव्य धाम ,जानें यहाँ की कुछ रहस्यमयी बातें

छत्तीसगढ़ में ऐसे कई रहस्य मयी जगह है जो देखने लायक है। यहाँ ज्यादातर बड़े बड़े दिव्यधाम मंदिर है जिन्हे छग के लोग बहुत मानते है। छत्तीसगढ़ में बेहद ही सूंदर जगह है ऐसी ही जगह है रतनपुर ,जो माँ की महिमा के लिए जाना जाता है। जी हाँ माँ की महिमा माँ महामाया की। यहाँ माँ महामाया का दिव्य धाम है। ये अलौकिक मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में है। यह मंदिर देवी के 51 शक्ति पीठ में से एक है|

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एक हज़ार साल पुराना है मंदिर

महामाया देवी: सती का दाहिना स्कंध गिरा था, पवित्र स्थान का महत्‍व-इतिहास  जानिए

ऐसा मानना है की यहां देवी सती का दाहिना स्कंध यानि कंधा गिरा था। रतनपुर में स्थित ये दिव्य महामाया मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। इसका निर्माण कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। गर्भगृह में मां महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप के दर्शन होते हैं। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर इसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था। तब से यह मंदिर प्रचलित है।

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यह है पूरी कहानी

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पवित्र और पौराणिक नगरी रतनपुर को पहले मणिपुर के नाम से जाता था। मान्यता है कि 11वीं सदी में कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम शिकार के वक्त मणिपुर गांव में रात्रि विश्राम के लिए रुके थे। अर्धरात्रि में जब राजा की आंख खुली तब उन्होंने वट वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा और ये देखकर चमत्कृत हो गए कि वहां आदिशक्ति मां महामाया देवी की सभा लगी हुई है। सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और मणिपुर का नाम रतनपुर कर इसे अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और महामाया देवी का भव्य मंदिर बनवाया।

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नवरात्र में सबसे ज्यादा ज्योतिकलश

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नवरात्र में माता महामाई के दर्शन करने के साथ ही ज्योतिकलश के भी अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं। दावा है कि दोनों ही नवरात्र के दौरान महामाया मंदिर में सबसे ज्यादा ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। यहां देश और विदेश से भक्त विशेष तौर पर ज्योतिकलश स्थापित करवाते हैं। साथ ही मंदिर में साल 1986 से एक अखंड ज्योत भी जल रही है।

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हनुमान जी की होती है विशेष पूजा

Weird story unique temple where hanuman ji worshiped as women 75177 हनुमान  जी का अनोखा मंदिर, यहाँ स्त्री रूप में होती है इनकी पूजा - lifeberrys.com  हिंदी

रतनपुर स्थित गिरिजाबंध का हनुमान मंदिर बेहद खास है। यहां हनुमान जी की स्त्री रूप में पूजा होती है। और हनुमानजी की ये अनोखी प्रतिमा महामाया मंदिर से सटे महामाया कुंड से मिली थी। गिरिजाबंध मंदिर महामाया मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू ने करवाया था। मंदिर प्रांगण में ही महामाया कुंड के एक छोर पर जलेश्वर महादेव के दर्शन भी होते हैं। जो सदैव कुंड के जल में डूबे रहते हैं इसलिए इनका नाम जलेश्वर महादेव पड़ा। वहीं कुंड के दूसरी ओर विराजे हैं नीलकंठ महादेव। स्थानीय बोलचाल में इसे कंठीदेवल महादेव कहा जाता है। अष्टकोणीय आकार का ये मंदिर हिंदू और मुस्लिम शैली की वास्तुकला का मिश्रण है।

सबसे पहले काल भैरव के दर्शन

रतनपुर बिलासपुर छत्तीसगढ़ | Ratanpur Bilaspur ka Itihas Chhattisgarh

रतनपुर-बिलासपुर राजमार्ग में रतनपुर के प्रवेश द्वार पर सिद्ध तंत्र पीठ भगवान काल भैरव नाथ का विशाल और ऐतिहासिक मंदिर है। मां महामाया के दरबार में हाजिरी लगाने से पहले काल भैरव के दर्शन करने होते हैं। यहां गर्भगृह में काल भैरव की 12 फीट की विशाल प्रतिमा स्थापित है। नगर कोतवाल काल भैरव को भगवान शिव का रुद्र अवतार माना गया है। यही वजह है कि यहां भैरवनाथ की प्रतिमा का श्रृंगार भगवान शिव के रूप में किया जाता है। मां महामाया के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।