सिंगर अंकित के सुरों की सुनहरी यात्रा के साथ मनाया गया मध्यप्रदेश का 69वां स्थापना दिवस
भोपाल। मध्यप्रदेश के 69वें स्थापना दिवस के अवसर पर 1 नवम्बर, 2024 की शाम मध्यप्रदेश शासन द्वारा संस्कृति संचालनालय के संयोजन में 69वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन हंसध्वनि सभागार, रवीन्द्र भवन में किया गया। यह सुखद संयोग रहा कि दीपावली और मध्यप्रदेश स्थापना दिवस एक साथ ही मनाने का अवसर प्रदेशवासियों को मिला। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उपस्थित रहे। समारोह से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राजधानी भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर दीप जलाने के बाद आतिशबाजी कर मध्य प्रदेश के 69 वे स्थापना दिवस का जश्न मनाया। समारोह की शुरुआत मंचासीन द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर की गई, इस अवसर पर स्वस्ति वाचन हुआ। तत्पश्चात संचालक संस्कृति मुख्यमंत्री एवं उपस्थित अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। स्वागत की बेला के बाद सुहासिनी जोशी एवं साथी, भोपाल द्वारा सुमधुर स्वरों में मध्यप्रदेश गान की प्रस्तुति दी गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने म.प्र. के 69वें स्थापना दिवस के अवसर पर एमपी टूरिज्म द्वारा निर्मित नवीन टीवी कमर्शियल (टी.वी.सी.) "मोह लिया रे" को लॉन्च किया। मध्यप्रदेश के नैसर्गिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को नए रंग-रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से टीवीसी का निर्माण करवाया है। प्रख्यात अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने अपनी अदाकारी से इसे जीवंत किया है। मध्यप्रदेश के 69वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि आम नागरिकों के कल्याण में राज्यों की सीमा बाधा नहीं बनना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी यही संकल्प है। उन्होंने प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिये महत्वपूर्ण केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के लिए समाधान का मार्ग प्रशस्त किया। अंतर्राज्यीय केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना भारत की प्रथम नदी जोड़ो परियोजना है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान के मध्य 20 वर्ष से पार्वती चंबल कालीसिंध परियोजना की स्वीकृति के लंबित मामलों में अब स्वीकृति हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा दी गई इन मंजूरियों से प्रदेश के बड़े अंचल में विकास की गति तीव्र हो जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी के तीव्र विकास का संकल्प पूरा करने में मध्यप्रदेश सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। केन-बेतवा परियोजना से बुंदेलखंड में सिंचाई और पानी की सुविधा व्यापक स्तर पर नागरिकों और किसानों को मिलेगी। यह परियोजना एक इतिहास रचने का कार्य करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्थापना वर्ष 1956 से लेकर अब तक एक लंबी यात्रा तय हुई है। इस वर्ष राज्योत्सव और दीपोत्सव एक साथ आए हैं। प्रदेश में चार दिन का स्थापना दिवस समारोह और 5 दिन का दीपोत्सव हो रहा है। मध्यप्रदेश इस मामले में सौभाग्यशाली है कि यहॉ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में सर्वाधिक समय व्यतीत किया।
भगवान श्रीकृष्ण ने भी मध्यप्रदेश की धरती पर उज्जैन आकर शिक्षा ग्रहण की। मध्यप्रदेश पर प्रकृति का भी वरदान है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिमालय से गंगा के उद्गम और अन्य नदियों की जल राशि को देखें तो उससे कहीं अधिक जल राशि नर्मदा के साथ सोन, चंबल, ताप्ती आदि से प्रवाहित होती है। मध्यप्रदेश नदियों के मायके की तरह है। यह देश के लिए अजूबा और वरदान दोनों है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा प्रदेश में खनिजों की प्रचुरता है। प्रदेश में 55 जिलों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण होगा। जिलों की सीमाओं के साथ ही संभागों की सीमा भी बदलेंगे। प्रदेश में 68 वर्ष में पुनर्गठन संबंधी कार्य इस स्तर पर नहीं हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार विकास के मामले में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
स्थापना दिवस समारोह की इस विशेष शाम की मुख्य प्रस्तुति सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक अंकित तिवारी मुम्बई की। अंकित ने मंच पर आते ही श्रोताओं का अभिवादन स्वीकार करते हुए दीपावली और मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं। अंकित ने सबसे पहले लगता है दिल तेरी शामत आई है.... प्रस्तुत किया। इसके बाद राम सिया राम.... को भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अंकित तिवारी का स्वागत शॉल श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। इसके बाद लोकप्रिय गीत तू जो है तो मैं हूं.... और तुम से ही....की प्रस्तुति से सभागार में सुरीला संसार रच दिया।
प्रस्तुति में आगे सनम तेरी कसम....और जुगनी....प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं पर जादू सा कर दिया। इसके बाद तो अंकित और श्रोताओं के बीच सुरीला रिश्ता कायम हो गया और गीतों का सिलसिला चलता गया। बत्तमीज...., साडा हक...., खैरियत...., तू ही हकीकत...., बूंद बूंद...., तो फिर आओ...., तू है कि नहीं.... जैसे लोकप्रिय गीतों से शाम को शानदार बना दिया। अगली प्रस्तुति सबसे लोकप्रिय गीत सुन रहा है न तू.... प्रस्तुत कर स्थापना दिवस की शाम में चार चांद लगा दिए। उन्होंने इसके बाद सय्योनी...., अंखियां उडीक...., पठान.... प्रस्तुत करते हुए प्रस्तुति का समापन तेरी गलियां....गीत प्रस्तुत कर किया।