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Krishna janmashtami: जन्माष्टमी का व्रत: व्रत रखने पर 20 करोड़ एकादशी व्रत के बराबर मिलता है पुण्य, पुराणों में हैं उल्लेखित

Krishna janmashtami:

Krishna janmashtami: जन्माष्टमी का व्रत: व्रत रखने पर 20 करोड़ एकादशी व्रत के बराबर मिलता है पुण्य, पुराणों में हैं उल्लेखित

Krishna janmashtami: आज देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। श्रीमद्भागवत, भविष्य पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को, रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा के साथ, अर्द्धरात्रि में हुआ था। यह विशेष संयोजन अत्यंत दुर्लभ माना जाता है, और इस वजह से यह पर्व विशेष पुण्यकारी बन जाता है। आज, 26 अगस्त को, रोहिणी नक्षत्र के साथ ध्रुव योग सुबह 6:34 बजे के बाद शुरू हो रहा है, जो इस दिन के महत्व को और अधिक बढ़ा रहा है। इसके साथ हर्षण योग और स्थिर योग भी इस दिन बन रहे हैं, जो इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण बना देते हैं।

Krishna janmashtami: जन्माष्टमी के व्रत का महत्व बहुत अधिक है। प्रसिद्ध कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। भविष्यपुराण में कहा गया है कि इस दिन व्रत रखने से 20 करोड़ एकादशी व्रतों के बराबर फल प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, यह भी कहा जाता है कि इस व्रत को करने वाले की 21 पीढ़ियां तर जाती हैं। साथ ही, इस व्रत को करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

Krishna janmashtami: पद्मपुराण और गौतमी तंत्र के अनुसार, यदि अष्टमी तिथि सोमवार के दिन पड़े और रोहिणी नक्षत्र का संयोग हो, तो यह व्रत और पूजा के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन विशेष पूजा और व्रत करने से कोटि जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।


Krishna janmashtami: इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि, सोमवार और रोहिणी नक्षत्र का दुर्लभ योग बन रहा है। इसे महापुण्य का प्रतीक माना जाता है। सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें, व्रत के दिन सुबह सूर्य, चंद्रमा, यम, काल, पंचभूत, दिशाओं, देवताओं आदि का आह्वान कर संकल्प लेना चाहिए कि आज आप जन्माष्टमी का व्रत करेंगे। इसके बाद पूरे दिन भगवान कृष्ण के भजन गाते हैं। इसके बाद रात असली पूजा की जाती है। 12 बजे कराया जाता है कान्हा जी का जन्म।



Krishna janmashtami: आइए जानते हैं 12 बजें कान्हा जी का जन्म


Krishna janmashtami: पूजा स्थल पर देवकी के पुत्र जन्म की तैयारी की जाती है। जलपूर्ण कलश, आम्र के पत्ते और पुष्पमालाओं से सजावट की जाती है। लाल कपड़ा पाटे पर बिछाया जाता है। सर्वप्रथम भगवान कृष्ण जी के स्वरूप लड्डू गोपाल को एक खीरे मैं रात्रि 12.00 बजे से पूर्व बिठा दे। रात्रि को 12.00 बजे खीरे में से निकलकर पंचामृत में स्नान कराएं. भगवान श्री कृष्ण को नया मोर मुकुट, नई बांसुरी, नए वस्त्रत्त्, पुष्पमाला, और आभूषण धारण कराएं। इसके बाद नए वस्त्र, आभूषण धारण कराएं। पीला चंदन अक्षत से सुंदर तिलक करें पुष्प माला पहना दें। 


Krishna janmashtami: नए झूले या सिंहासन पर बिठा दें। पंचामृत, पंजीरी, हरा नारियल मेवा ताजे फल नैवेद्य आदि का भोग अर्पित करें।व्रति को कृष्णा प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए और भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नाम का जाप करना चाहिए। रात्रि को जन्म के समय भगवान की पूजा और भजन कीर्तन किया जाना बहुत शुभ है। अगले दिन सुबह पूजा संपन्न कर ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए और दान पुण्य करना चाहिए।















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