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कटघोरा वन मंडल: हाथी शावक की मौत पर अनसुलझे सवाल, कर्मचारियों की जुबान लड़खड़ाई..विभाग के कर्मचारी ने किये चौकाने वाले खुलासे..विभाग के आलाधिकारियों की लापरवाही उजागर..

 

कटघोरा:इसमे कोई दो राय नही की कटघोरा वनमण्डल में हाथियों की मौत हो जाना कोई बड़ी बात है यहाँ पूर्व में भी कई हाथियों की दर्दनाक मौत हो चुकी है. जहाँ एक हाथी की मौत पर सीधे डीएफओ निलंबित हो जाते है. वही एक घटना पर 12 ग्रामीण सलाखो के पीछे चले जाते हैं।आखिर इस विभाग में हाथियों की लगातार मौत होने के बाद भी विभाग आजतक कोई सार्थक कदम उठा पाने में असमर्थ क्यो बना हुआ है?

जहां विभाग के पास वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए लाखो करोड़ो रुपये का बजट होता है। वही पिछले माह ग्राम बनिया में एक हाथी की मौत का मामला सामने आया था,जहाँ विभाग द्वारा 12 ग्रामीणों पर कार्यवाही कर उन्हें सलाखो के पीछे भेज दिया था, अब विभाग की यह कार्यवाही कितनी मुनाशीब थी यह तो कह पाना मुश्किल होगा, लेकिन विभाग के कर्मचारी ने चौकाने वाले खुलासे कर विभाग की लापरवाही जरूर उजागर कर दी है, जहां कई अनसुलझे सवाल खड़े हो गए है।कही विभाग के आलाधिकारी अपनी साख बचाने ग्रामीणों को मोहरा तो नही बना रहे…? खैर वजह चाहे जो भी हो लेकिन विभाग की लापरवाही जरूर सामने आ चुकी है।

दरअसल बीते माह अक्टूबर में कटघोरा वनमंडल के वनपरिक्षेञ पसान अंतर्गत ग्राम बनिया में एक हाथी शावक की दर्दनाक मौत हो गई थी,जहां वन विभाग ने हाथी शावक की मौत का जिम्मेदार 12 ग्रामीणों को ठहराया था और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था,जिसमे एक नाबालिग भी सामिल था,वंही मुख्य आरोपी को फरार बताया गया था।कटघोरा वन मंडल में अभी तक का यह मामला है जहां हाथी की मौत पर 12 लोगो की गिरफ्तारी तय हुई है।आखिर यह पूरी घटना क्या थी जिस पर 12 लोगो की गिरफ्तारी हुई है?

हाथी मौत पर ग्रामीणों की क्या भूमिका थी?वन विभाग ने किस आधार पर 12 ग्रामीणों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की है? तमाम तरह के सवाल आज भी गले की फांस बने हुए है।विभाग की माने तो ग्राम वासियों ने मिलकर हाथी शावक को मौत के घाट उतारकर दफन कर दिया था,अब इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो कह पाना बेहद मुश्किल है बहरहाल पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही कारण स्पष्ट हो पायेगा आखिर हाथी की मौत की वजह क्या थी?हालांकि ग्रामीणों ने भी माना है कि उन्होंने हाथी को दफन किया था,और यह पूरी प्रक्रिया जनपद सदस्य के इशारे पर हुई थी।

अब जनपद सदस्य ने ग्रामीणों को हाथी दफनाने के लिए क्यो बोला यह भी बड़ा सवाल है।सूत्रों की माने तो तीन दिन से हाथी का शव गाँव से 100 मीटर की दूरी पर पड़ा था जो सड़ने की कगार पर था लिहाजा जनपद सदस्य ने ग्रामीणों की मदद से हाथी का कफ़न दफन कर दिया था।वही वन विभाग ने हाथी की मौत पर 12 ग्रामीणों की गिरफ्तारी कर कार्यवाही तो की है, लेकिन कुछ सवाल आज भी समझ से परे है, ग्रामीणों की माने तो जब गांव में हाथियों का दल मौजूद था उस समय विभाग की टीम भी गाँव मे लगातार अलर्ट पर थी इस बीच हाथी की मौत हुई थी,बताया जा रहा है हाथी की मौत के तीन दिन बाद ग्रामीणों ने हाथी को दफन किया था,अब सवाल यह उठता है कि तीन दिन तक विभाग को भनक तक नही लगी कि हाथी की मौत हुई है, अचानक विभाग को सूचना मिलती है और 12 ग्रामीणों पर कार्यवाही हो जाती है..?

इस पूरी घटना पर जब NEWS PLUS 21 की टीम ने पड़ताल की तो माजरा कुछ समझ से परे नजर आया. बता दे कि यह पूरी घटना 18 अक्टूबर की रात के दरमियान की है जहाँ ग्राम बनिया में 45 हाथियों का झुंड गाँव से करीब 100 मीटर की दूरी पर आमद देकर ग्राम में दहशत का माहौल बना दिया था।जिसकी सूचना ग्रामीणों द्वारा वन विभाग को पूर्व से ही दे दी गई थी लिहाजा 17 अक्टूबर से वन विभाग की टीम गाँव मे मौजूद थी और रात्रि के दौरान भी ग्रामीणों को लगातार समझाइश दे रही थी तथा हाथियों के मूवमेंट्स पर नजर रख रही थी.

इस दौरान विभाग की टीम उच्चाधिकारियों को भी वस्तु स्थिति की जानकारी लगातार दे रहे थे,जहां रात्रि के दौरान एक हाथी शावक की मौत हो जाती है दूसरे दिन यानी 19 अक्टूबर को विभाग के कर्मचारियों को भनक तक नही लगती है कि एक हाथी की मौत हो चुकी है और 20 अक्टूबर को विभाग को अचानक सूचना मिलती है कि एक हाथी शावक की मौत हो चुकी है,जिन्हें मारकर दफना दिया गया है।यहां एक सवाल समझ से परे है जब विभाग की टीम लगातार हाथियों के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है तो उन्हें हाथी की मौत का पता कैसे नही चला..? जबकि ग्रामीण दावा कर रहे है कि हाथी की मौत 18 अक्टूबर की रात को हो गई थी,जिसकी जानकारी विभाग के कर्मचारियों को थी।वही ग्रामीणों ने भारी भरकम हाथी को रातों रात कैसे दफन कर दिया यह समझ से परे है..?

कई सवालों के बीच यह हाथी मौत का मामला समझ से परे बना हुआ है लेकिन news plus 21 की टीम ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए जहां विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि 18 अक्टूबर की रात्रि के दौरान जब हाथी की मौत हुई तो उन्हें इसकी सूचना प्राप्त हो गई थी,जहां कर्मचारी द्वारा अपने सीनियर अधिकारी यानी वनपरिक्षेञ अधिकारी को रात के दौरान ही हाथी मौत की सूचना से अवगत करा दिया गया था,हाथी की मौत की सूचना मिलने पर भी रेंजर के कानों पर जु तक नही रेंगी और न ही कुछ अहम कदम उठाए गए.

वही हाथी की मौत के तीन दिन बाद 12 ग्रामीणों की गिरफ्तारी यह कहकर हो जाती हो जाती है कि ग्रामीणों ने मिलकर हाथी को विष देकर या करेंट लगाकर मौत के घाट उतार दिया और रातोरात हाथी का कफ़न दफन कर दिया गया।यहां बड़ा सवाल यह है कि जब ग्रामीणों के साथ 17 अक्टूबर से वन विभाग की टीम मौजूद है वहाँ कब ग्रामीणों ने हाथी को विष दे दिया या करेंट लगा दिया और मजे की बात यह है कि जब विष दिया गया या करेंट लगाया तो 45 हाथियों के झुंड में केवल एक हाथी ही उसका शिकार हुआ और बाकी सलामत बच गए,ये बात गले नही उतर रही है।

विभाग के कर्मचारियों ने भी माना है कि इस घटना के पीछे विभाग के आलाधिकारीयो की बड़ी लापरवाही है जिन्हें घटना की जानकारी समय रहते अवगत करा दी गई थी लेकिन कोई कदम नही उठाया गया।यहां तक कि वनमंडलाधिकारी द्वारा भी कोई पहल नही की गई।जब इस घटना पर रेंजर से जानकारी ली गई तो इनका जवाब समझ से परे था. इन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर की रात्रि के दौरान ग्रामीणों ने मिलकर जहर देकर हाथी को मौत के घाट उतार दिया था और रात में ही हाथी को दफन कर दिया था।

यह बात हजम इसलिए नही हो रही कि इस दौरान विभाग के कर्मचारियों ने दावा किया है कि रात्रि के समय वे ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने की समझाईश दे रहे थे तो कब ग्रामीणों ने हाथी को दफन कर दिया..? वही जब रेंजर से गजराज वाहन के बारे में जानकारी चाही गई तो इन्होंने बताया कि इस दौरान गजराज वाहन मौजूद था जो गाँव के रास्तों में न जाकर मुख्यमार्ग में था,जबकि विभाग के कर्मचारी ने दावा किया है इस दौरान मौके पर गजराज वाहन नही आया था बल्कि गजराज वाहन 3 दिन से बिगड़ा हुआ था, तो रेंजर ऐसा क्यों बोल रहे आखिर वो क्या छुपाने का प्रयास कर रहे,कही हाथी की मौत के पीछे विभाग की कोई बडी लापरवाही तो नही..? जहाँ झूठ का पुलिंदा गढ़ा जा रहा है।

ग्राम बनिया में हाथी की मौत का कारण फिलहाल पूरी तरह स्पष्ट नही हो पाया है जहां रेंजर ने पीएम रिपोर्ट में हाथी की मौत विष से होना जाहिर किया है जहां तक पीएम रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते है वहाँ रिपोर्ट आ भी गई और विभाग के अन्य कर्मचारियों को रिपोर्ट की भनक तक नही है ऐसा हम नही कह रहे ये तो विभाग के कर्मचारियों के हवाले से ज्ञात है।इस पूरे मामले में विभाग की बड़ी लापरवाही मानी जा सकती है जहाँ एक हाथी की दर्दनाक मौत हो गई और विभाग के नुमाइंदे झूठ का पुलिंदा गढ़ रहे है।कटघोरा वन मंडल में वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कितने कारगर है यह तो हाथियों की लगातार मौत से समझा जा सकता है।आखिर बनिया में हाथी की मौत का क्या है राज.. ? और 12 ग्रामीण कितने है दोषी..? विभाग कितना है दोषी ..? कई सवाल आज भी अनसुलझे है जो जाँच का विषय है.