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Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ मंदिर में बनने वाले निर्मला प्रसाद क्यों कहते हैं मोक्ष प्रसाद, जानिए क्या है मान्यता

Jagannath Rath Yatra 2025: पुरी। ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मंदिर में आज रथयात्रा की भव्य शुरूआत होने लगी है। जगन्नाथ रथ यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते है। जगन्नाथ रथयात्रा में रथयात्रा के साथ ही महाप्रसाद का भी

Jagannath Rath Yatra 2025: पुरी। ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मंदिर में आज रथयात्रा की भव्य शुरूआत होने लगी है। जगन्नाथ रथ यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते है। जगन्नाथ रथयात्रा में रथयात्रा के साथ ही महाप्रसाद का भी

Jagannath Rath Yatra 2025: पुरी। ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मंदिर में आज रथयात्रा की भव्य शुरूआत होने लगी है। जगन्नाथ रथ यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते है। जगन्नाथ रथयात्रा में रथयात्रा के साथ ही महाप्रसाद का भी महत्व होता है। कहते हैं कि, जगन्नाथ पुरी मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है जहां पर तीन प्रकार के प्रसाद बनाए जाते है। जहां पर हर प्रसाद का महत्व होता है। यहां पर रसोई में रोजाना हजारों लाखों लोगों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है।


Jagannath Rath Yatra 2025: जानिए तीन प्रकार के भोग के बारे में


1.पहला प्रसाद- जगन्नाथ पुरी मंदिर में बनने वाले तीन प्रकार के भोग में पहला प्रसाद सकुंदी होता है। इस खास प्रकार के भोग को परिसर के अंदर ही ग्रहण करना होता है यानि आप इस प्रसाद को मंदिर के बाहर ले जाकर ग्रहण नहीं कर सकते है।


2.दूसरा प्रसाद- इसके अलावा दूसरा प्रसाद जो बनता है उसे सुखिला प्रसाद कहा जाता है। ऐसे समझें तो, ‘सुखिला’ वह प्रसाद है जिसमें सूखी मिठाई और नमकीन होता है, जिसे आप घर ले जा सकते हैं. इसे आप अपने रिश्तेदारों और दोस्तों में बांट सकते हैं।


3.तीसरा प्रसाद- जगन्नाथ मंदिर के महाभोग में बनने वाले प्रसाद का नाम ‘निर्मला प्रसाद’ होता है। इस प्रसाद की महत्ता ज्यादा होती है। दरअसल इसे ही मोक्ष प्रसाद कहते हैं। कहते हैं इस प्रसाद का सेवन करने मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।


Jagannath Rath Yatra 2025: मान्यता है जिसकी मृत्यु नजदीक होती है वो इसे ग्रहण कर ले तो मोक्ष प्राप्त होता है। इसक इस प्रसाद को कोइली बैकुंठ नाम के विशेष स्थान पर तैयार किया जाता है। बता दें कि इस स्थान पर भगवान जगन्नाथ की पुरानी प्रतिमाओं को दफनाया जाता है।

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