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ग्रीनलैंड पर कब्जे की मंशा: ट्रंप और डेनमार्क के बीच तनावपूर्ण बातचीत, यूरोपीय देशों की चिंता बढ़ी

ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन के साथ फोन पर हुई बातचीत में ग्रीनलैंड को लेकर अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए कड़ा रुख अपनाया।

वरिष्ठ यूरोपीय अधिकारियों के अनुसार, 45 मिनट की इस बातचीत में ट्रंप ने ग्रीनलैंड को अमेरिका के लिए जरूरी बताते हुए इसे हासिल करने पर जोर दिया, जबकि फ्रेडरिकसन ने यह स्पष्ट किया कि यह विशाल आर्कटिक द्वीप बिक्री के लिए नहीं है।

ग्रीनलैंड, जो डेनमार्क के अधीन एक स्वायत्त क्षेत्र है, अपनी रणनीतिक स्थिति और खनिज संसाधनों के कारण लंबे समय से वैश्विक महाशक्तियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। इस बातचीत में ट्रंप ने डेनमार्क पर दबाव बनाते हुए कुछ कड़े कदम उठाने की धमकी दी, जिसमें लक्षित टैरिफ लगाना भी शामिल था।

यूरोप में बढ़ी चिंता

इस तनावपूर्ण वार्ता ने यूरोपीय नेताओं के बीच ट्रंप की दूसरी पारी में ट्रांसअटलांटिक संबंधों को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अधिकारियों ने कहा कि यह वार्ता बेहद कठिन और आक्रामक रही, जिससे डेनमार्क अब संकट प्रबंधन की स्थिति में आ गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह स्पष्ट है कि अमेरिका ग्रीनलैंड पर कब्जे के लिए गंभीर है। डेनिश अधिकारियों के लिए यह एक बड़ा झटका है।"

वहीं, डेनमार्क के पूर्व अधिकारी ने इसे "बहुत सख्त और चुनौतीपूर्ण बातचीत" करार दिया।

ग्रीनलैंड पर ट्रंप का दावा

ग्रीनलैंड, जहां केवल 57,000 लोग रहते हैं, आर्कटिक क्षेत्र में नई समुद्री व्यापारिक मार्गों का प्रवेश बिंदु है। साथ ही, यह खनिज संसाधनों का भंडार है, हालांकि इन संसाधनों तक पहुंचना मुश्किल है।

ट्रंप ने हाल ही में कहा, "लोगों को नहीं पता कि डेनमार्क का इस द्वीप पर कानूनी अधिकार है या नहीं, लेकिन अगर है, तो उन्हें इसे छोड़ देना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।"

उन्होंने आगे कहा कि आर्कटिक क्षेत्र में चीन और रूस की बढ़ती गतिविधियों को रोकने के लिए यह जरूरी है। डेनमार्क और ग्रीनलैंड का रुख ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेडे ने बार-बार कहा है कि द्वीप के निवासी अमेरिका या डेनमार्क की नागरिकता के बजाय स्वतंत्रता चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने खनन और पर्यटन में अमेरिकी व्यापारिक रुचि का स्वागत किया है।

डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडरिकसन ने भी ग्रीनलैंड में अमेरिकी सहयोग की संभावनाओं को लेकर बड़े डेनिश कंपनियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा, "ग्रीनलैंड को लेकर वैश्विक स्तर पर बड़ी रुचि है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"

ट्रंप की नीति और यूरोप पर प्रभाव

डेनमार्क और यूरोपीय देशों को अब डर है कि ट्रंप का ग्रीनलैंड पर कब्जे का इरादा, अगर साकार हुआ, तो इससे वैश्विक राजनीति और कूटनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है।

यह अमेरिका की विदेश नीति को एक नई दिशा में ले जाने की शुरुआत हो सकती है, जहां वैश्विक ताकतों के बीच आर्कटिक क्षेत्र को लेकर प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी। डेनमार्क फिलहाल इस स्थिति से निपटने के लिए कूटनीतिक उपाय तलाश रहा है, लेकिन यह विवाद ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका और यूरोप के संबंधों में बढ़ती खटास का संकेत देता है।

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