डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, पहली बार 87 के स्तर से नीचे फिसला

नई दिल्ली – भारतीय रुपये ने सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की। शुरुआती कारोबार में रुपये ने 67 पैसे की गिरावट के साथ 87.29 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर को छू लिया।
रुपये की गिरावट के प्रमुख कारण:
डॉलर की मजबूती: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के चलते डॉलर को मजबूती मिली है, जिससे रुपये समेत कई वैश्विक मुद्राओं पर नकारात्मक असर पड़ा है।
वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका: ट्रंप द्वारा चीन, कनाडा और मैक्सिको पर नए टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है, जिससे विदेशी मुद्रा बाजार प्रभावित हुआ है। बजट के बाद बाजार की प्रतिक्रिया: केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे पर अपेक्षाकृत कम खर्च की घोषणा से बाजार की धारणा प्रभावित हुई, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा।
विदेशी निवेश की निकासी: विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली के कारण रुपये पर और अधिक दबाव देखा गया। अन्य देशों की करेंसी भी प्रभावित रुपये की तरह ही चीन, मैक्सिको और कनाडा की करेंसी में भी भारी गिरावट आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार को ऑफशोर ट्रेडिंग में चीनी युआन रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि मैक्सिकन पेसो और कनाडाई डॉलर भी कमजोर हो गए।
शेयर बाजार पर असर
भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 442 अंक की गिरावट के साथ 77,063 के स्तर पर खुला, जबकि निफ्टी 162 अंकों की गिरावट के साथ 23,319 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ नीति के वास्तविक प्रभाव का मूल्यांकन करना अभी जल्दबाजी होगी। सरकार उम्मीद कर रही है कि इस गिरावट का असर जल्द ही स्थिर हो जाएगा। भारतीय मुद्रा बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, निवेशकों की निगाहें अब वैश्विक कारकों और केंद्र सरकार की आगामी आर्थिक नीतियों पर टिकी हुई हैं।