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घरघोड़ा: दीपावली पर पटाखा दुकानों के लिए नया स्थान, प्रशासन के सुरक्षा वादों पर सवाल

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घरघोड़ा: दीपावली पर पटाखा दुकानों के लिए नया स्थान, प्रशासन के सुरक्षा वादों पर सवाल

घरघोड़ा /गौरीशंकर गुप्ता - दीपावली के दौरान पटाखा दुकानों को लेकर सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर, इस बार घरघोड़ा प्रशासन ने Sages स्कूल ग्राउंड को नया स्थान निर्धारित किया है। प्रशासन का दावा है कि पटाखा दुकानों को भीड़भाड़ वाले इलाकों से हटाकर एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाएगा, जहाँ सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाएगा। एसडीएम रमेश मोर ने स्थानीय लोगों को भरोसा दिलाया है कि इस बार सुरक्षा के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों के अनुभवों के कारण, लोगों में प्रशासन के इन दावों पर गहरी शंका बनी हुई है। नागरिकों का कहना है कि प्रशासन हर साल नए सुरक्षा निर्देश जारी तो करता है, लेकिन दीपावली आते ही भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में ही पटाखा दुकानें लगाने की अनुमति दे देता है।

कागजों पर सख्त निर्देश, जमीन पर लापरवाही?

शासन द्वारा जारी नए निर्देशों के अनुसार, पटाखा दुकानों के निर्माण में ज्वलनशील सामग्री का उपयोग नहीं किया जाएगा, और प्रत्येक दुकान में आग बुझाने के सिलेंडर अनिवार्य होंगे। इसके अलावा, दुकानों के पास पानी के ड्रम भी उपलब्ध रहेंगे, और फायर ब्रिगेड वाहनों के लिए रास्ता खुला रहेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासन इन नियमों का पालन जमीनी स्तर पर करा पाएगा? पिछले वर्षों में प्रशासन ने ऐसे ही निर्देश दिए थे, मगर दीपावली के नजदीक आते ही भीड़भाड़ वाले जय स्तम्भ चौक जैसे संवेदनशील इलाकों में ही पटाखा दुकानें लगा दी गईं। स्थानीय लोग कहते हैं कि प्रशासन की यह लापरवाही न केवल सुरक्षा के साथ समझौता करती है, बल्कि लोगों की जान को भी जोखिम में डालती है।

सुरक्षा के वादे या व्यापारियों के दबाव में झुकता प्रशासन?

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि दीपावली से पहले व्यापारियों के दबाव के चलते प्रशासन अपने ही बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है। एक ओर प्रशासन जनता को सुरक्षा का भरोसा देता है, लेकिन दूसरी ओर, व्यापारिक संगठनों के दबाव में जय स्तम्भ चौक जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में पटाखा दुकानों की अनुमति दे दी जाती है। इस बार Sages स्कूल ग्राउंड को नया स्थान चुना गया है, परंतु नागरिकों को इस निर्णय के स्थायित्व पर संदेह है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन अपने वादों पर कायम रह पाएगा या फिर व्यापारिक दबाव में आकर पुराने खतरनाक स्थानों पर ही दुकानों की अनुमति दे देगा?

क्या प्रशासन इस बार अपने वादों पर खरा उतरेगा?

स्थानीय लोगों का मानना है कि प्रशासन को इस बार दिखावटी आदेशों से आगे बढ़कर सख्ती से नियमों का पालन करवाना चाहिए। यह साल प्रशासन के लिए एक कड़ी परीक्षा होगी, जो यह तय करेगी कि आने वाले समय में दीपावली पर नागरिक खुद को कितना सुरक्षित महसूस कर पाएंगे। प्रशासन के इस बार के निर्णय पर लोगों का विश्वास टिका है। अगर प्रशासन ने इस बार भी केवल कागजी घोषणाओं तक ही सीमित रहकर व्यापारियों के दबाव में काम किया, तो नागरिकों का प्रशासन पर से विश्वास उठ सकता है।

जनता की मांग: सुरक्षा नियमों पर सख्ती से हो अमल

स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन को इस बार केवल दिशा-निर्देश जारी करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उनकी सख्ती से अमल में लाना चाहिए। सुरक्षा के वादे और उनका सही क्रियान्वयन प्रशासन के प्रति नागरिकों का विश्वास बढ़ा सकते हैं। प्रशासन का यह कदम केवल एक घोषणा नहीं, बल्कि लोगों की सुरक्षा का असली परीक्षण है। अब देखना यह है कि इस बार प्रशासन अपने वादों पर कितना अमल कर पाता है और क्या नागरिक दीपावली के त्यौहार को सुरक्षित तरीके से मना पाएंगे।

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