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DRDO की बड़ी कामयाबी, पहली बार LRLACM क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण,देखें भारत की ताकत
- Pradeep Sharma
- 12 Nov, 2024
DRDO: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 12 नवंबर मंगलवार को पहली बार मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LRLACM) का सफल
नई दिल्ली। DRDO: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 12 नवंबर मंगलवार को पहली बार मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LRLACM) का सफल उड़ान परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से किया गया है। क्रूज मिसाइल परीक्षण के दौरान सभी उप-प्रणालियों ने उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन किया और मिसाइल अपने टारगेट को पाने में कामयाब रही।
DRDO: LRLACM एंटी-शिप बैलिस्टिक क्रूज मिसाइल है, जिसकी रेंज 1000 किलोमीटर है। यानी यह मिसाइल 1,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर चलते युद्धपोतों या विमान वाहकों को मार गिराने में सक्षम होगी। यानी इस मिसाइल से हिन्द महासागर से अरब सागर तक और चीन से पाकिस्तान तक टारगेट साधा जा सकता है।
Defence Research and Development Organisation (DRDO) conducted the Maiden Flight Test of Long Range Land Attack Cruise Missile (LRLACM) from the Integrated Test Range (ITR), Chandipur, off the coast of Odisha on November 12, 2024, from a mobile articulated launcher. During the… pic.twitter.com/wmvDYtOFj9
— ANI (@ANI) November 12, 2024
DRDO: LRLACM जहाज रोधी बैलिस्टिक मिसाइल को युद्धपोतों और तटवर्ती स्थानों दोनों से प्रक्षेपित किया जा सकेगा। सूत्रों ने बताया कि यह मिसाइल प्रणाली भारतीय नौसेना के लिए विकसित की जा रही है और इससे उसे लंबी दूरी से दुश्मन के जहाजों को मार गिराने की क्षमता मिलेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय नेे भी ट्वीट कर इस कामयाबी पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
DRDO: LRLACM को लंबी दूरी में स्थित जमीन पर आधारित लक्ष्यों को टारगेट करने के लिए सटीक स्ट्राइक क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया है। मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस) और आईटीआर द्वारा विभिन्न स्थानों पर तैनात टेलीमेट्री जैसे कई रेंज सेंसर द्वारा की गई ताकि उड़ान पथ की पूरी कवरेज सुनिश्चित की जा सके। यह परीक्षण देश की रक्षा तत्परता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों के विकास में एक मील का पत्थर है।
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