सफाई कर्मचारियों की निगम को नही परवाह, अब तक नही दिए रेन कोट, बारिश में भीगते हुए कचरा उठा रहे सफाई मित्र
- Ved B
- 01 Aug, 2024
गुरूवार को भोपाल में एक घंटे में अच्छा पानी बरस गया। आलम ये है कि बीते महीने भर से लगभग हर रोज शहर में बारिश हो रही है।
भोपाल। राजधानी में झमाझम बारिश की झड़ी लगी हुई। इसमें जहां लोग घरों से निकलने से बच रहे हैं,तो वहीं नगर निगम के 7 हजार से ज्यादा सफाई कर्मी सुबह-शाम भीगते हुए सफाई करने को मजबूर हैं। इन्हें नगर निगम ने न तो रेन कोट मुहैया कराया और न ही छतरी। सफाई कर्मियों के मुताबिक, बारिश में भीगकर काम करने के कारण अधिकतर सफाई कर्मी फंगल इन्फेक्शन और बुखार की चपेट में हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि निगम आयुक्त से सफाई कर्मियों के लिए रेन कोट, गमबूट, ग्लव्स और कैप देने की मांग लगातार की जा रही है। इधर, निगम की दलील है कि टेंडर जारी किए जा चुके हैं। जल्द ही रेन कोट दिए जाएंगे।
हालांकि टेंडर शर्तों को देखें तो रेन कोट की सप्लाई एक महीने बाद होनी है, तब तक बारिश का सीजन बीतने को रहेगा। सफाई कर्मचारियों ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि बारिश में उनके पास दो ही तरीके होते हैं। या तो वह भीगते हुए काम करें या फिर ड्यूटी पर न आएं। यदि ड्यूटी पर नहीं आते हैं, तो तनख्वाह काट ली जाती है। इधर, बारिश में भीगने से वह बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। हाथ-पैरों की त्वचा गलने लगी है। फ़िलहाल तो जिनके हाथों में शहर को साफ और स्वच्छ रखने का जिम्मा है वह पानी में भींगते हुए कचरा उठाने को मजबूर है।
अभी रेनकोट के लिए करना होगा इंतजार
बारिश का आधा सीजन निकल जाने के बाद निगम को याद आई है कि कर्मचारियों को बरसाती भी देनी है। निगम ने रेनकोट के लिए टेंडर निकाल दिया। बता दें आम तौर पर इस प्रक्रिया में करीब एक महीने का वक्त लगता है। यानी तब तक मानसून बीत चुका होगा। इस बीच भारी बारिश के बीच भीगते हुए काम करना नगर निगम कर्मचारियों के लिए चुनौती और मज़बूरी दोनों बना रहेगा।
गुरूवार को भोपाल में एक घंटे में अच्छा पानी बरस गया। आलम ये है कि बीते महीने भर से लगभग हर रोज शहर में बारिश हो रही है। ऐसी बरसात में भी नगर निगम कर्मचारी काम करते रहने को मजबूर हैं। निगम कर्मचारी भारी बारिश हो या धूप सुबह से लेकर रात तक अपनी ड्यूटी करते हैं। लेकिन बारिश के मौसम में इनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। निगम की और से रेनकोट देने के प्रावधान हैं पर इस साल अब तक नहीं मिला है। इनकी तनख्वाह इतनी कम है की रेनकोट खरीद भी नहीं सकते, दूसरी परेशानी ये है कि छुट्टी करते हैं तो तनख़्वाह काट ली जाती है।