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कलेक्टर कुणाल दुदावत ने की फरसगांव विकासखण्ड में संचालित जल जीवन मिशन के कार्यों की समीक्षा

जिला कलेक्टर कुणाल दुदावत की अध्यक्षता में फरसगांव विकासखण्ड के ग्राम पंचायतों में जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक

कलेक्टर कुणाल दुदावत ने की फरसगांव विकासखण्ड में संचालित जल जीवन मिशन के कार्यों की समीक्षा



रामकुमार भारद्वाज/कोण्डागांव :- जिला कलेक्टर  कुणाल दुदावत की अध्यक्षता में गुरुवार को फरसगांव विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में संचालित जल जीवन मिशन के कार्यों की समीक्षा की। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तथा विद्युत विभाग के मैदानी अधिकारियों के साथ ही ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिवों की उपस्थिति में आयोजित इस बैठक में कलेक्टर ने कार्यवार समीक्षा की और कार्य में अत्यंत लापरवाही बरत रहे ठेकेदारों के विरुद्ध कार्यवाही के निर्देश दिए।


उन्होंने डिमांड नोट का भुगतान होने के बावजूद विद्युत कनेक्शन प्रदाय करने में हो रही लापरवाही पर विद्युत विभाग के अधिकारियों के प्रति गहरी नाराजगी भी जताई और कार्य को प्राथमिकता के साथ निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूर्ण करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने पतोड़ा के नयापारा में, आलोर के शेष 60-70 घरों में, बाड़ागांव के नयापारा में जल आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने मोहलई में भोंगापाल, चिचाड़ी, मोदे बेड़मा, सिंगारपुरी, गट्टीपलना, में नलकूप खनन करने के निर्देश दिए। उन्होंने पांडे आठगांव में तीन दिन के भीतर एवं जुगानीकलार में 15 अगस्त तक जलापूर्ति प्रारंभ करने के निर्देश दिए। 


उन्होंने कोटपाड़ कोंडापखना, तोयापाल, कोनगुड़, कन्हारगांव, आमगांव, लंजोड़ा, जामगांव, फुटान चांदागांव, परोदा, गवाड़ी, बड़गई, कुम्हाड़ बड़गांव, मेहपाल, कोकड़ा जुगानार, कोसागांव एवं आलमेर में हुए कार्य में विलंब पर ठेकेदारों के विरुद्ध 6 प्रतिशत अधिभार सहित कार्य निरस्त करते हुए नई निविदा आमंत्रित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही चुरेगांव, कोरई, कुलानार, फुंडेर, बोकराबेड़ा और तुर्की में कार्य में विलंब के लिए ठेकेदारों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। 


उन्होंने इसके साथ ही कुछ ग्रामों में जलस्त्रोत को लेकर विवाद की स्थिति को देखते हुए आवश्यकता अनुसार नया नलकूप खनन करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि ग्रामीणों को घर में जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही जल संरक्षण भी आवश्यक है तथा इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा कार्य किया जाएगा। इसके अंतर्गत जल स्त्रोत के आसपास वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अधोसरंचना का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही पुराने अनुपयोगी जलस्त्रोतों को भी वाटर रिचार्ज अधोसंरचनाओं के रुप में विकसित किया जाएगा।

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