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सीएम यादव ने राष्ट्रीय हिंदी विज्ञान सम्मेलन का किया शुभारंभ, विज्ञान में हिंदी को प्रोत्साहन और रिसर्च पर दिया जोर

सीएम यादव

डॉ यादव ने कहा कि अभी ये कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है। आने वाले समय में ये कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर का भी होना चाहिए।

भोपाल। सीएसआईआर एम्प्री औऱ विज्ञान भारती मध्य भारत प्रांत एवं अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों के संयुक्त तत्वावधान में  राष्ट्रीय हिंदी विज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा हैं। सम्मेलन का शुभारंभ सीएम डॉ मोहन यादव ने किया। विज्ञान के क्षेत्र में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और प्रोत्साहन के उद्देश्य से आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के विषय विशेषज्ञ व चिंतक शामिल होने के लिए पहुंचे है। 

राष्ट्रीय हिंदी विज्ञान सम्मेलन के संयोजक व एम्प्री के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. जे पी शुक्ल ने बताया कि अमृतकाल में राष्ट्रीय वैज्ञानिक चेतना का उन्नयन थीम पर आयोजित इस सम्मेलन के पहले दिन महिलाओं का उभरता हुआ प्रभावी नेतृत्व -एक सुखद परिदृश्य, सतत विकास में जल एवं पर्यावरण की भूमि, हिंदी में विज्ञान संचार, भारत के विकास हेतु विज्ञान एवं तकनीक के विभिन्न उन्नत आयाम जैसे विषयों पर परिचर्चा की जा रही हैं। जिसमे में एएसआरबी आईसीएआर नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार, एम्प्री के निदेशक प्रो. अवनीश कुमार श्रीवास्तव, विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. अमोघ कुमार गुप्ता मुख्य रूप से उपस्थित हैं। 


अंतरराष्ट्रीय स्तर का भी होना चाहिए ऐसे अयोजन सीएम 

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राष्ट्रीय हिंदी विज्ञान सम्मेलन 2024 कार्यक्रम पर चर्चा करते हुए कहा कि "विज्ञान भारती द्वारा आज राष्ट्रभाषा हिंदी और विज्ञान सम्मेलन अर्थात विज्ञान में हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए तकनीकी रूप से स्व-भाषा को बढ़ावा देने का एक बड़ा अभियान शुरू हुआ है,ये चौथा राष्ट्रीय सम्मेलन है। मेरी अपनी और से इस पूरे आयोजन के लिए सभी को बधाई। 

डॉ यादव ने कहा कि अभी ये कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है। आने वाले समय में ये कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर का भी होना चाहिए। क्योंकि स्व-भाषा को जानने वाले विद्वान अगर अपने रिसर्च को हिंदी में करते हैं और उसके तकनीकी शब्दों को हिंदी में अनुवाद करते हैं तो सहज रूप से उसे पूरे देश में लोकप्रियता मिलेगी। इससे आमजन की विज्ञान के प्रति जिज्ञासाएं बढ़ेगी और लोगों की अपनी आत्मीयता भी बढ़ेगी। 

डॉ यादव ने कहा कि ऐसे सभी रिसर्च को प्रोत्साहन देने के लिए जो पढ़े-लिखे नहीं भी हैं, वो भी अगर कोई अनूठे आविष्कार लेकर आते हैं तो विज्ञान भारती इसका प्रबंध करें। हर साल अपनी प्रतिभा के बल पर जो भी होनहार लोग हैं, वो अपनी प्रतिभा को लाकर इस तरह के आयोजन में भागीदार बने।

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