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बाल संस्कारशाला से सीख रहे बच्चे जीवन जीने के सूत्र, गायत्री शक्तिपीठ बीजापुर में मनुष्य को गढ़ने की प्रेरक पहल

बाल संस्कारशाला

बाल संस्कारशाला से सीख रहे बच्चे जीवन जीने के सूत्र, गायत्री शक्तिपीठ बीजापुर में मनुष्य को गढ़ने की प्रेरक पहल

बीजापुर: गायत्री शक्तिपीठ बीजापुर में प्रत्येक रविवार को निःशुल्क बाल संस्कारशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें बीजापुर नगर के एवं आसपास इलाके से छोटे बच्चे बड़े ही उत्साह उमंग के साथ में पहुंच रहे हैं । आजकल सोशल मीडिया के दौर में छोटे बच्चे मोबाइल की लत में इतने डूब चुके हैं की खाली समय में रील्स, कार्टून, ऑनलाइन गेम देखते हैं और मोबाईल की लत के शिकार होते जा रहे हैं। मोबाइल की लत से पालक परेशान हैं जब तक बच्चों के हाथ में मोबाईल नहीं आता तब तक खाना तक नहीं खाते हैं। 


ऐसे में गायत्री परिवार की अनूठी पहल बाल संस्कारशाला के रूप में उन्हें इस लत से बाहर निकालने एवं मनुष्य जीवन के नैतिक मूल्यों को सीखने के लिए बाल संस्कारशाला का आयोजन प्रत्येक रविवार को आयोजित किया जाता है । सुबह 10 बजे से 12 बजे तक आयोजित इस शाला में बच्चे खेल-खेल में योग संगीत के साथ परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा बताए गए मानवीय मूल्यों को एवं जीवन जीने के नैतिक सूत्रों को सीखते हैं । खेल-खेल में उन्हें ऐसी शिक्षा दी जाती है कि बच्चे बोर नहीं होते और व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करते हैं।


 पालक उन्हें खुशी-खुशी इस बाल संस्कारशाला में भेजने हेतु उत्साहित हैं। बाल संस्कारशाला के आचार्य देव साहू द्वारा हारमोनियम से गीत संगीत एवं कहानी किस्सों से उन्हें प्रेरक विषयों पर शिक्षा देते हैं आचार्य दुर्गेश साहू द्वारा तबला वादक के रूप में सहयोग देकर उन्हें खेल-खेल में मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धक बातें बताते हैं योगाचार्य अर्जुन वेको द्वारा बच्चों को योग की शिक्षा देते हैं राहुल कुमार गुप्ता द्वारा गिटार के माध्यम से जुगलबंदी करते हैं एवं बच्चों को प्रेरक उद्बोधन देकर उन्हें शिक्षित करते हैं । 


इस तरह ये चार युवा आचार्य भावी पीढ़ी को बढ़ाने के संकल्प के साथ में प्रत्येक रविवार को अपने रोजमर्रा के दैनिक कार्य से समय निकालकर गायत्री शक्तिपीठ में अपना समयदान देते हैं एवं इन ननिहालों के भविष्य को संवारने करने की शिक्षा दे रहे हैं गायत्री शक्तिपीठ द्वारा परम पूज्य गुरुदेव की सप्त सूत्रीय आंदोलन में बाल संस्कारशाला भी एक महत्वपूर्ण योजना है जिसके माध्यम से बच्चे जो बातें स्कूल और अपने घरों में नहीं सीख पाते हैं वह इस बाल संस्कारशाला में सीखते हैं और अपने जीवन को उज्जवल  दिशा की ओर आगे बढ़ते हैं। रविवार को इच्छा नवमी (आंवला नवमी)के अवसर पर पलक राजपूत का मुंडन संस्कार, लोव्यांश का अन्नप्राशन संस्कार, वेदांश का विद्यारंभ संस्कार एवं सुखराम मंडावी का दीक्षा तथा यज्ञोपवीत संस्कार निःशुल्क संपन्न हुआ।

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