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child pornography: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बच्चों से जुड़ा सेक्सुअल कंटेंट को लेकर सुनाया महत्वपूर्ण निर्णय, एक क्लिक में आपको पहुंचा सकता है जेल... समझें

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child pornography: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बच्चों से जुड़ा सेक्सुअल कंटेंट को लेकर सुनाया महत्वपूर्ण निर्णय, एक क्लिक में आपको पहुंचा सकता है जेल... समझें

child pornography: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या उसे संग्रहित करना POCSO और IT कानूनों के अंतर्गत अपराध है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने यह फैसला मद्रास हाईकोर्ट के एक पूर्व निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिया है। मद्रास हाईकोर्ट ने पहले कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या उसे रखना अपराध नहीं है, जिसके बाद कई एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 

child pornography: मद्रास हाईकोर्ट का निर्णय:

child pornography: 2019 में, एक 28 वर्षीय युवक पर चाइल्ड पोर्न डाउनलोड करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। मद्रास हाईकोर्ट ने यह कहते हुए मामला खारिज कर दिया कि चाइल्ड पोर्न देखना POCSO और IT एक्ट के अंतर्गत अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी ने पहले कभी चाइल्ड पोर्न नहीं देखी थी और न ही उसने इसे किसी के साथ साझा किया था। 

child pornography: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

child pornography: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि POCSO एक्ट की धारा 15 के अनुसार, चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, रखना, प्रकाशित करना या प्रसारित करना अपराध है। कोर्ट ने कहा कि इस एक्ट के विभिन्न उपधाराएँ एक-दूसरे से अलग हैं, और यदि कोई मामला इनमें नहीं आता, तो भी वह धारा 15 के अंतर्गत अपराध माना जाएगा।

child pornography: सुप्रीम कोर्ट के सुझाव

child pornography: अदालत ने सुझाव दिया कि 'चाइल्ड पोर्नोग्राफी' के बजाय 'चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉयटेटिव मटैरियल' का प्रयोग किया जाना चाहिए। साथ ही, बच्चों को POCSO कानून की जानकारी देने के लिए स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

child pornography: child pornography: भारतीय कानून का संदर्भ

child pornography: भारत में पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं है, लेकिन चाइल्ड पोर्नोग्राफी या अश्लील सामग्री को डाउनलोड करना या साझा करना गंभीर अपराध है। IT एक्ट की धाराएँ 67, 67A, और 67B इसके लिए दंड का प्रावधान करती हैं। POCSO एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए कड़ी सजाएँ दी गई हैं, जिसमें 3 से 7 साल की जेल की सजा का प्रावधान है।यह निर्णय चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत देता है और इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को भी दर्शाता है।

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